कितनी राहत है
कितनी राहत है चाहत में तेरे
तुम्हें याद करने से ही
हर ग़म दूर हो जाता है
दर्द काफ़ूर हो जाए कहाँ
चेहरे पर नूर आ जाता है
होठों पे हंसी रहती है अब सदा
मिस्री घुल गई है कड़वाहट में मेरेे
कितनी राहत है चाहत में तेरे।
अँधेरे में चाँद खिल जाता है
झिलमिलाने लगते हैं सितारे
धूप भी छाँव जैसा है तुमसे
मझदार भी लगे हैं किनारे
कदमों तले झुका लगे आसमां े
चांदनी चमकी है मुस्कराहट से तेरे
कितनी राहत है चाहत में तेरे।
हर ग़म फ़ना हो जाता है
एक तेरे होने के एहसास सें
हँसने लगती हैं तन्हाइयां मेरी
बहार आ जाती है बियाबां में
सपनों का शहर आबाद है तुमसे
संगीत है जीवन में आहट से तेरेे
कितनी राहत है चाहत में तेरे।
वाह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह लाजवाब