कविता

बस ज़िन्दगी

प्रेम कहानियाँ सब पीछे रह जाती हैं
जिंदगी बस आगे बढ़ जाती है
कोई गली, कोई गुलाब
कोई चुनरी कोई झुमका
कोई खत, कोई ख़्वाब
रहता नहीं, भेंट चढ़ जाती है
हरेक चीज़ जिंदगी के नाम
इश्क के सिवा हैं बहुत मकाम
***

*नीतू सिंह

नाम नीतू सिंह ‘रेणुका’ जन्मतिथि 30 जून 1984 साहित्यिक उपलब्धि विश्व हिन्दी सचिवालय, मारिशस द्वारा आयोजित अंतरराष्ट्रीय हिन्दी कविता प्रतियोगिता 2011 में प्रथम पुरस्कार। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में लेख, कहानी, कविता इत्यादि का प्रकाशन। प्रकाशित रचनाएं ‘मेरा गगन’ नामक काव्य संग्रह (प्रकाशन वर्ष -2013) ‘समुद्र की रेत’ नामक कहानी संग्रह(प्रकाशन वर्ष - 2016), 'मन का मनका फेर' नामक कहानी संग्रह (प्रकाशन वर्ष -2017) तथा 'क्योंकि मैं औरत हूँ?' नामक काव्य संग्रह (प्रकाशन वर्ष - 2018) तथा 'सात दिन की माँ तथा अन्य कहानियाँ' नामक कहानी संग्रह (प्रकाशन वर्ष - 2018) प्रकाशित। रूचि लिखना और पढ़ना ई-मेल [email protected]

3 thoughts on “बस ज़िन्दगी

  • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

    बस जीना इसी का नाम है, वोह झुमके, वोह ख़त, जिंदगी की चक्की में पिस कर रह जाते हैं और आगे बढ़ना ही पड़ता है . नए मुकाम की ओर झांकना ही पढ़ता है . फिर भी कभी कभी खियाल आ भी जाए तो बगैर किसी को बताये यह खियाल आखर में अग्नि भेंट हो जाते हैं . कविता बहुत अछि लगी .

    • नीतू सिंह

      शुक्रिया। फिर भी कभी कभी जब ख्याल आ जाए तो ऐसी कविता लिख लेनी चाहिए…ह हा हा।

      • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

        बिलकुल ठीक कहा आप ने .

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