क्षणिका

सीमित होना मेरी फितरत नहीं

मैं असीमित होना चाहती हूं,
सीमित होना मेरी फितरत नहीं,
मैं सकारात्मक होना चाहती हूं,
नकारात्मक होना मेरी फितरत नहीं,
मैं निष्पक्ष होना चाहती हूं,
पक्षपाती होना मेरी फितरत नहीं,
मैं स्नेहिल होना चाहती हूं,
द्वेषभावी होना मेरी फितरत नहीं,
मैं समदर्शी होना चाहती हूं,
असमदर्शी होना मेरी फितरत नहीं,
मैं असीमित होना चाहती हूं,
सीमित होना मेरी फितरत नहीं.

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244

12 thoughts on “सीमित होना मेरी फितरत नहीं

  • मनमोहन कुमार आर्य

    बहुत अच्छे विचार। ईश्वर की कृपा बिना ऐसा होना मेरी दृष्टि में संभव नहीं। ईश्वर आपकी मनोकामना पूर्ण करें। सादर एवं नमस्ते बहिन जी।

    • लीला तिवानी

      प्रिय मनमोहन भाई जी, आप लोगों के आशीर्वाद व दुआओं से ईश्वर की कृपा होना भी संभव है. अति सुंदर व सार्थक टिप्पणी के लिए आभार.

  • राज किशोर मिश्र 'राज'

    वाह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह लाजवाब सृजन बहन जी

    • लीला तिवानी

      प्रिय राजकिशोर भाई जी, अति सुंदर व सार्थक प्रतिक्रिया के लिए आभार.

  • विभा रानी श्रीवास्तव

    वाह
    अति सुंदर

    • लीला तिवानी

      प्रिय सखी विभा जी, अति सुंदर व सार्थक प्रतिक्रिया के लिए आभार.

    • लीला तिवानी

      प्रिय सखी विभा जी, अति सुंदर व सार्थक प्रतिक्रिया के लिए आभार.

  • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

    मैं असीमित होना चाहती हूं,

    सीमित होना मेरी फितरत नहीं. बहुत अछे विचार ,यह तो हम बहुत देर से ही जानते हैं .

  • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

    मैं असीमित होना चाहती हूं,

    सीमित होना मेरी फितरत नहीं. बहुत अछे विचार ,यह तो हम बहुत देर से ही जानते हैं .

    • लीला तिवानी

      प्रिय गुरमैल भाई जी, यह आपकी पारखी और गुणग्राही नज़र का कमाल है. अति सुंदर व सार्थक प्रतिक्रिया के लिए आभार.

  • डॉ रमा द्विवेदी

    बहुत सुन्दर विचारणीय क्षणिका आदरणीया

    • लीला तिवानी

      प्रिय सखी रमा जी, अति सुंदर व सार्थक प्रतिक्रिया के लिए आभार.

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