सीमित होना मेरी फितरत नहीं
मैं असीमित होना चाहती हूं,
सीमित होना मेरी फितरत नहीं,
मैं सकारात्मक होना चाहती हूं,
नकारात्मक होना मेरी फितरत नहीं,
मैं निष्पक्ष होना चाहती हूं,
पक्षपाती होना मेरी फितरत नहीं,
मैं स्नेहिल होना चाहती हूं,
द्वेषभावी होना मेरी फितरत नहीं,
मैं समदर्शी होना चाहती हूं,
असमदर्शी होना मेरी फितरत नहीं,
मैं असीमित होना चाहती हूं,
सीमित होना मेरी फितरत नहीं.
बहुत अच्छे विचार। ईश्वर की कृपा बिना ऐसा होना मेरी दृष्टि में संभव नहीं। ईश्वर आपकी मनोकामना पूर्ण करें। सादर एवं नमस्ते बहिन जी।
प्रिय मनमोहन भाई जी, आप लोगों के आशीर्वाद व दुआओं से ईश्वर की कृपा होना भी संभव है. अति सुंदर व सार्थक टिप्पणी के लिए आभार.
वाह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह लाजवाब सृजन बहन जी
प्रिय राजकिशोर भाई जी, अति सुंदर व सार्थक प्रतिक्रिया के लिए आभार.
वाह
अति सुंदर
प्रिय सखी विभा जी, अति सुंदर व सार्थक प्रतिक्रिया के लिए आभार.
प्रिय सखी विभा जी, अति सुंदर व सार्थक प्रतिक्रिया के लिए आभार.
मैं असीमित होना चाहती हूं,
सीमित होना मेरी फितरत नहीं. बहुत अछे विचार ,यह तो हम बहुत देर से ही जानते हैं .
मैं असीमित होना चाहती हूं,
सीमित होना मेरी फितरत नहीं. बहुत अछे विचार ,यह तो हम बहुत देर से ही जानते हैं .
प्रिय गुरमैल भाई जी, यह आपकी पारखी और गुणग्राही नज़र का कमाल है. अति सुंदर व सार्थक प्रतिक्रिया के लिए आभार.
बहुत सुन्दर विचारणीय क्षणिका आदरणीया
प्रिय सखी रमा जी, अति सुंदर व सार्थक प्रतिक्रिया के लिए आभार.