कविता

वर्ण पिरामिड : दुःख पीड़ा

1

म्हा
दृशा
अंकुशा
स्व तराशा
चित्त तलाशा
तन्हा पीड़ा नाशा
मैं मिटा हम हुआ

2

ही
स्पर्शा
वागीशा
प्राप्तयाशा
समाधि दशा
वाणी रग – रेशा
सुख दुःख के मंशा

विभा रानी श्रीवास्तव 

*विभा रानी श्रीवास्तव

"शिव का शिवत्व विष को धारण करने में है" शिव हूँ या नहीं हूँ लेकिन माँ हूँ

One thought on “वर्ण पिरामिड : दुःख पीड़ा

  • लीला तिवानी

    प्रिय सखी विभा जी, मैं मिटा हम हुआ. अति सुंदर व सार्थक पिरामिड के लिए आभार.

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