गीतिका/ग़ज़ल

बेटियों पर चर्चा हो /ग़ज़ल

अगर कहीं भी बंधु, चिरागों पर चर्चा हो
भव-भूतल के बिसरे कोनों पर चर्चा हो

व्यर्थ विलाप, निराशा, रुदन, विसर्जित करके
लक्ष्य-साधना, कर्म, हौसलों पर चर्चा हो

सुमन सभी, खुश-रंग सुरभि, देते बगिया को
नहीं ज़रूरी, सिर्फ गुलाबों पर चर्चा हो

नाम हमारा भव में, चर्चित हो न हो मगर
चाह, कलम के, अमृत-भावों पर चर्चा हो

सार जहाँ हो, ज्ञान-सिंधु की बूँद-बूँद में
ऐसी सरल, सुभाष्य किताबों पर चर्चा हो

छोड़ो भी, अब नीरस जीवन का नित रोना
रसमय, गीत, ग़ज़ल, कविताओं पर चर्चा हो

बेदम हो जब भूख, रोटियाँ घर-घर पहुँचें
तभी आसमाँ, चाँद-सितारों पर चर्चा हो

सदी कह रही सुनो ‘कल्पना’ समय आ गया
बेटों से रुख मोड़, बेटियों पर चर्चा हो

कल्पना रामानी

*कल्पना रामानी

परिचय- नाम-कल्पना रामानी जन्म तिथि-६ जून १९५१ जन्म-स्थान उज्जैन (मध्य प्रदेश) वर्तमान निवास-नवी मुंबई शिक्षा-हाई स्कूल आत्म कथ्य- औपचारिक शिक्षा प्राप्त करने के बाद मेरे साहित्य प्रेम ने निरंतर पढ़ते रहने के अभ्यास में रखा। परिवार की देखभाल के व्यस्त समय से मुक्ति पाकर मेरा साहित्य प्रेम लेखन की ओर मुड़ा और कंप्यूटर से जुड़ने के बाद मेरी काव्य कला को देश विदेश में पहचान और सराहना मिली । मेरी गीत, गजल, दोहे कुण्डलिया आदि छंद-रचनाओं में विशेष रुचि है और रचनाएँ पत्र पत्रिकाओं और अंतर्जाल पर प्रकाशित होती रहती हैं। वर्तमान में वेब की प्रतिष्ठित पत्रिका ‘अभिव्यक्ति-अनुभूति’ की उप संपादक। प्रकाशित कृतियाँ- नवगीत संग्रह “हौसलों के पंख”।(पूर्णिमा जी द्वारा नवांकुर पुरस्कार व सम्मान प्राप्त) एक गज़ल तथा गीत-नवगीत संग्रह प्रकाशनाधीन। ईमेल- [email protected]

One thought on “बेटियों पर चर्चा हो /ग़ज़ल

  • राज किशोर मिश्र 'राज'

    वाह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह लाजवाब सृजन

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