कविता

सिक्कों की खनक

चँद सिक्कों की खनक में
ईमान का स्वर खो रहा है
भ्रष्टाचार की अँधेरी गलियों में
मानव निज घर खो रहा है

नौकरी के लिए पहुँच चाहिए
पैसा भी हाथ में बहुत चाहिए
बेरोजगार इस देश का युवा
स्वाभिमान दर ब दर खो रहा है

कार्यालयों में फाईल दबी है
जन सेवक की जेब ठंडी है
हर एक सरकारी कार्यालय से
सेवा का सफ़र खो रहा है

न्यायालयों में न्याय न मिले
न्यायाधीश बिके तो किस से गिले
तराजू लिए खड़ी है देवी
न्याय उसका मगर खो रहा है

बहुत खेले, अब फिक्सिंग करते
विदेशी मुद्रा में देसी मिक्सिंग करते
खेल भी अब खेल हो गया
भावनाओं का असर खो रहा है

चुनाव में मांगो नेताओं से नोट
जो दे, केवल उसे डालो वोट
संसद में भी नोट चल रहे
संविधान भी आदर खो रहा है

मंदिर कमेटी से कमाई हो रही
भगवान के नाम धन उगाही हो रही
दर्शनों में भी स्वार्थ छिपा है
भक्ति का मंजर खो रहा है

हर क्षेत्र में फैला भ्रष्टाचार है
क्या अर्जुन यही सदाचार है
भौतिकता की इस अंध दौड़ में
भगवान् का डर खो रहा है

अर्जुन सिंह नेगी

नाम : अर्जुन सिंह नेगी पिता का नाम – श्री प्रताप सिंह नेगी जन्म तिथि : 25 मार्च 1987 शिक्षा : बी.ए., डिप्लोमा (सिविल इंजीनियरिंग), ग्रामीण विकास मे स्नातकोत्तर डिप्लोमा। पेशा : एसजेवीएन लिमिटेड (भारत सरकार एवं हिमाचल प्रदेश सरकार का संयुक्त उपक्रम) में सहायक प्रबन्धक के पद पर कार्यरत l लेखन की शुरुआत : सितम्बर, 2007 से (हिमप्रस्थ में प्रथम कविता प्रकाशित) l प्रकाशन का विवरण (समाचार पत्र व पत्रिकाएँ): दिव्य हिमाचल (समाचार पत्र), फोकस हिमाचल साप्ताहिक (मंडी,हि.प्र.), हिमाचल दस्तक (समाचार पत्र ), गिरिराज साप्ताहिक(शिमला), हिमप्रस्थ(शिमला), प्रगतिशील साहित्य (दिल्ली), एक नज़र (दिल्ली), एसजेवीएन(शिमला) की गृह राजभाषा पत्रिका “हिम शक्ति” जय विजय (दिल्ली), ककसाड, सुसंभाव्य, सृजन सरिता व स्थानीय पत्र- पत्रिकाओ मे समय- समय पर प्रकाशन, 5 साँझा काव्य संग्रह प्रकशित, वर्ष 2019 में अंतिका प्रकाशन दिल्ली से कविता संग्रह "मुझे उड़ना है" प्रकाशितl विधाएँ : कविता , लघुकथा , आलेख आदि प्रसारण : कवि सम्मेलनों में भागीदारी l स्थायी पता : गाँव व पत्रालय –नारायण निवास, कटगाँव तहसील – निचार, जिला – किन्नौर (हिमाचल प्रदेश) पिन – 172118 वर्तमान पता : निगमित सतर्कता विभाग , एसजेवीएन लिमिटेड, शक्ति सदन, शनान, शिमला , जिला – शिमला (हिमाचल प्रदेश) -171006 मोबाइल – 09418033874 ई - मेल :[email protected]

4 thoughts on “सिक्कों की खनक

  • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

    कविता बहुत अछि लगी जो वर्तमान भारत की तस्वीर है लेकिन यही तस्वीर १९६२ में थी जब मैंने भारत छोड़ा था .लगता है यह कुछ बदलने वाला नहीं है, जब तक भारत का ब्लड ट्रांसप्लांट ना किया जाए .

    • अर्जुन सिंह नेगी

      धन्यवाद भमरा सर सच मे भ्रष्टाचार भारत की बहुत बड़ी बीमारी है और हम सब उससे ग्रस्त हैं हमें आत्म चिंतन करने की भी आवश्यकता है ! प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक धन्यवाद

  • लीला तिवानी

    प्रिय अर्जुन भाई जी, अति सुंदर कविता के लिए आभार.

    • अर्जुन सिंह नेगी

      धन्यवाद बहन

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