तेरे बिन
तेरे बिन
सूखे रेगिस्तान सी है ये जिंदगी
न जरूरत है किसी की
न किसी की तमन्ना रखता हूँ
फिर भी एक अहसान है ये जिंदगी
तेरे बिन
माथे पे निशान है ये जिंदगी
किस्मत से लगती बेईमान है ये जिंदगी
कहने को तो और भी लोग होंगे मेरे साथ
इस चारदीवारी में
पर जहां तू नही
वहां एक खाली मकान है ये जिंदगी
तेरे बिन
सूखे रेगिस्तान सी है ये जिंदगी
साँसे तो चल रही हैं
पर फिर भी
एक शमशान है ये जिंदगी
अछि कविता .