कविता

दुनिया करेंगे रौशन

सब लोगों के दिल में बस जायेंगे हम ऐसा होगा हमारा जीवन,
ऐसा दिन आयेगा जब बनके सूरज हम दुनिया करेंगे रौशन।

ये पंछी-परींदे तो पंखों से ही भरते हैं ऊंची उड़ान,
पंखों बिना हम जमीं पर से ही छू लेंगें ऊँचा आसमान,
सितारों की दुनिया में हम नौजवां बनायेंगे अपना चमन
ऐसा दिन आयेगा जब बनके सूरज हम दुनिया करेंगे रौशन।

विश्वास हमारा कभी न टूटे न उम्मीदों का दीपक बुझे,
कुछ भी नहीं है नामुमकिन यहाँ सपने तुम देखो उंचे,
तूफानों से ही जब हम दोस्ती कर लेंगे फिर रोकेगा कैसे पवन,
ऐसा दिन आयेगा जब बनके सूरज हम दुनिया करेंगे रौशन।

न पीछे है मुड़ना बस बढ़ते है जाना अपने हाथों किस्मत लिखेंगे,
अभी हैं नवोदय हम बनके सुमन अपनी बगिया में खुशबू भरेंग,े
कोई धर्म न जाति हम सब भारत वासी मनायेंगे मिलके जशन,
ऐसा दिन आयेगा जब बनके सूरज हम दुनिया करेंगे रौशन।

-दीपिका कुमारी दीप्ति

दीपिका कुमारी दीप्ति

मैं दीपिका दीप्ति हूँ बैजनाथ यादव की नंदनी, मध्य वर्ग में जन्मी हूँ माँ है विन्ध्यावाशनी, पटना की निवासी हूँ पी.जी. की विधार्थी। लेखनी को मैंने बनाया अपना साथी ।। दीप जैसा जलकर तमस मिटाने का अरमान है, ईमानदारी और खुद्दारी ही अपनी पहचान है, चरित्र मेरी पूंजी है रचनाएँ मेरी थाती। लेखनी को मैंने बनाया अपना साथी।। दिल की बात स्याही में समेटती मेरी कलम, शब्दों का श्रृंगार कर बनाती है दुल्हन, तमन्ना है लेखनी मेरी पाये जग में ख्याति । लेखनी को मैंने बनाया अपना साथी ।।

One thought on “दुनिया करेंगे रौशन

  • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

    आप का सपना सच्चा हो ! सकार्त्मिक विचार

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