नशा जानलेवा है भाई
सिगरेट स्वास्थ्य के लिये हानिकारक हैं
फिर भी पीते हैं धुँआ उठाते हैं वो भाई
मौत से किसे डर लगता हैं सोच हैं उनकी
नासमझी करते हैं बड़ी भूल करते हैं वो भाई
दारू पीते हैं बोतलों से मित्रो संग वो
देखते हैं नशा कितना चड़ता हैं वो भाई
जुआँ खेलते हैं पैसा कमाते हैं
जुएँ में सबकुछ हार जाते हैं वो भाई
विमल, राजश्री, कमला पसंद हैं पसंद इनकी
8-10 पाउच दिनभर में फाड़ते हैं वो भाई
धीरे-धीरे मौत के मुँह में जा रहे हैं
अपना भविष्य अंधकार में धकेलते हैं वो भाई
सब संगति का फल हैं नन्हाकवि
जैसी सोहबत में रहते हैं वैसा ही करते हैं वो भाई
माँ-बाप, पत्नी की परेशानी का कारण हैं ये
जिन्दगी भर नहीं सुधरते हैं वो भाई।
— शिवेश अग्रवाल ‘नन्हाकवि’