कविता

कविता : पोखर

बजूद
खोते जा रहे हैं पोखर
बुजुर्गों की
दूरदर्शी सोच के परिचायक
जिनका होना
प्रतीक था
खुशहाली और समृद्धि का

गाँव के बीचोंबीच
होते थे स्थित
ताकि होता रहे रिसाव
धरती के भीतर से
और बनी रहे नमी
कृषि योग्य भूमि की

खिले हुए कमल
और उनके गोलाकार
पत्तों से ढकी उपरी सतह
मछली, मेंढक और
बगुलों की शरणस्थली
संध्याकाल के समय
इनके इर्द – गिर्द
गप – शप करते
बड़े – बुजुर्ग
और क्रीड़ा करते
बच्चों की टोलियाँ
गाँव की व्यस्तत्तम जगह

समर्थ थे ये
पशुओं के लिए पेयजल
और कपड़े धोने आदि
अनेक क्रियाओं के लिए
या फिर गाँव में आगजनी जैसी
भीषण घटनाओं का सामना
करने को तत्पर
करते थे प्रतिपूर्ति
बालपन के लिए
स्विमिंग पूल की l

आज वक्त ने बदली है करवट
अधिकतर पोखरों का भराव कर
तैयार कर दिए गए हैं
सामुदायिक भवन
या फिर पंचायत घर
ईका – दुक्का कुछ जगह
संघर्ष करते
अपने बजूद के लिए
शिकार हैं अतिक्रमण का

गाँव अब हो गए हैं विकसित
शामिल हो गए हैं
शहरीकरण की होड़ में

विकास और सुविधाओं की
बलिवेदी पर कुर्बान
धरती के गर्भ में समा चुके
पोखरों की चीत्कार
अब नहीं सुनना चाहते
बहरे हो चुके गाँव !
मनोज चौहान

मनोज चौहान

जन्म तिथि : 01 सितम्बर, 1979, कागजों में - 01 मई,1979 जन्म स्थान : हिमाचल प्रदेश के मंडी जिला के अंतर्गत गाँव महादेव (सुंदर नगर) में किसान परिवार में जन्म l शिक्षा : बी.ए., डिप्लोमा (इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग), पीजीडीएम इन इंडस्ट्रियल सेफ्टी l सम्प्रति : एसजेवीएन लिमिटेड, शिमला (भारत सरकार एवं हिमाचल प्रदेश सरकार का संयुक्त उपक्रम) में उप प्रबंधक के पद पर कार्यरत l लेखन की शुरुआत : 20 मार्च, 2001 से (दैनिक भास्कर में प्रथम लेख प्रकाशित) l प्रकाशन: शब्द संयोजन(नेपाली पत्रिका), समकालीन भारतीय साहित्य, वागर्थ, मधुमती, आकंठ, बया, अट्टहास (हास्य- व्यंग्य पत्रिका), विपाशा, हिमप्रस्थ, गिरिराज, हिमभारती, शुभ तारिका, सुसंभाव्य, शैल- सूत्र, साहित्य गुंजन, सरोपमा, स्वाधीनता सन्देश, मृग मरीचिका, परिंदे, शब्द -मंच सहित कई प्रादेशिक एवं राष्ट्रीय पत्र - पत्रिकाओं और समाचार पत्रों में कविता, लघुकथा, फीचर, आलेख, व्यंग्य आदि प्रकाशित l प्रकाशित पुस्तकें : 1) ‘पत्थर तोड़ती औरत’ - कविता संग्रह (सितम्बर, 2017) - अंतिका प्रकाशन, गाजियाबाद(ऊ.प्र.) l 2) लगभग दस साँझा संकलनों में कविता, लघुकथा, व्यंग्य आदि प्रकाशित l प्रसारण : आकाशवाणी, शिमला (हि.प्र.) से कविताएं प्रसारित l स्थायी पता : गाँव व पत्रालय – महादेव, तहसील - सुन्दर नगर, जिला - मंडी ( हिमाचल प्रदेश ), पिन - 175018 वर्तमान पता : सेट नंबर - 20, ब्लॉक नंबर- 4, एसजेवीएन कॉलोनी दत्तनगर, पोस्ट ऑफिस- दत्तनगर, तहसील - रामपुर बुशहर, जिला – शिमला (हिमाचल प्रदेश)-172001 मोबाइल – 9418036526, 9857616326 ई - मेल : [email protected] ब्लॉग : manojchauhan79.blogspot.com

2 thoughts on “कविता : पोखर

  • अर्जुन सिंह नेगी

    चौहान साहब , सुन्दर कविता के लिए बधाई , हमें प्राकृतिक संसाधनों को बचने का प्रयास करना चाहिए

    • मनोज चौहान

      आभार भाई अर्जुन नेगी जी ……….!

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