कविता

विश्वविद्यालय की हड़ताल

विश्वविद्यालय में
शिक्षा ग्रहण करने वाले
विद्यार्थी
कर रहे थे हड़ताल
अपनी मांगों को मनवाने के लिए
कर रहे थे नारे बुलन्द
छात्र एकता के
ज़िन्दाबाद के
साथ ही
विश्वविद्यालय प्रबन्धन की
बर्बादी के
मुर्दाबाद के
ऐसी ही हड़तालें
होती रहती हैं अक्सर
सभी कालेजों मे
विश्वविद्यालयों मे
कभी कभी तो
छोटी छोटी मांगे
पूरी न होने पर ही
तोड़ दिए जाते हैं
उन खिडकियों के कांच
जिन कमरों में बैठकर
शिक्षा ग्रहण करते हैं
तोड़ दिए जाते हैं
डेस्क, जिनपर बैठकर
नैतिकता की भी शिक्षा ली जाती है
गाली गलोच और बद्दे नारों से
किया जाता है लज्जित
अपने ही सहपाठियों को
अद्यापकों, प्रोफेसरों को
छात्र गुटों के
जब हित टकराते हैं
तो बहा देते हैं लहू तक
एक दूसरे का
जो साथ साथ बैठकर
शिक्षा ग्रहण करते हैं
एक ही छात्रावास मे रहते हैं
वो कीमती लहू जो
माता पिता की
पसीने की कमाई से
गाड़ा हुआ है
राजनितिक दल ऐसा करें
दुःख तो होता है पर
आदत सी हो गयी है
राजनितिक दलों की
लोकतान्त्रिक अधिकार के नाम पर
अनैतिक हड़तालों की
शिक्षा के मंदिरों मे ऐसी अनैतिकता
कचोटती है मन को
लोकतंत्र की दुहाई देकर
गुरु और शिष्य के रिश्ते
होते जा रहे हैं कलंकित
बढती जा रही है दूरी दिलों की
जहाँ से एकता का पाठ सीखना था
वहीँ सीख रहे वैमनस्यता
अभिवादन की पाठशाला मे
शवयात्रा निकाली जा रही है
कुलपति की
जो अभी जीवित है
मुर्दाबात तक तो सही है
पर जीवित व्यक्ति की शवयात्रा
देख कर मन पसीजता है
कैसा लगता होगा उनके परिजनों को
आवेग नहीं,
मन के कपाट खोलकर
इस पर चिंतन करना होगा
सभी अध्यापकों को
विद्यार्थियों को
तय करने होंगे
न्यूनतम मापदंड नैतिकता के
और बचाना होगा
कलंकित होने से
हमारी शिक्षा प्रणाली को

अर्जुन सिंह नेगी
नारायण निवास कटगाँव
तहसील निचार जिला किन्नौर
हि०प्र० 172118

अर्जुन सिंह नेगी

नाम : अर्जुन सिंह नेगी पिता का नाम – श्री प्रताप सिंह नेगी जन्म तिथि : 25 मार्च 1987 शिक्षा : बी.ए., डिप्लोमा (सिविल इंजीनियरिंग), ग्रामीण विकास मे स्नातकोत्तर डिप्लोमा। पेशा : एसजेवीएन लिमिटेड (भारत सरकार एवं हिमाचल प्रदेश सरकार का संयुक्त उपक्रम) में सहायक प्रबन्धक के पद पर कार्यरत l लेखन की शुरुआत : सितम्बर, 2007 से (हिमप्रस्थ में प्रथम कविता प्रकाशित) l प्रकाशन का विवरण (समाचार पत्र व पत्रिकाएँ): दिव्य हिमाचल (समाचार पत्र), फोकस हिमाचल साप्ताहिक (मंडी,हि.प्र.), हिमाचल दस्तक (समाचार पत्र ), गिरिराज साप्ताहिक(शिमला), हिमप्रस्थ(शिमला), प्रगतिशील साहित्य (दिल्ली), एक नज़र (दिल्ली), एसजेवीएन(शिमला) की गृह राजभाषा पत्रिका “हिम शक्ति” जय विजय (दिल्ली), ककसाड, सुसंभाव्य, सृजन सरिता व स्थानीय पत्र- पत्रिकाओ मे समय- समय पर प्रकाशन, 5 साँझा काव्य संग्रह प्रकशित, वर्ष 2019 में अंतिका प्रकाशन दिल्ली से कविता संग्रह "मुझे उड़ना है" प्रकाशितl विधाएँ : कविता , लघुकथा , आलेख आदि प्रसारण : कवि सम्मेलनों में भागीदारी l स्थायी पता : गाँव व पत्रालय –नारायण निवास, कटगाँव तहसील – निचार, जिला – किन्नौर (हिमाचल प्रदेश) पिन – 172118 वर्तमान पता : निगमित सतर्कता विभाग , एसजेवीएन लिमिटेड, शक्ति सदन, शनान, शिमला , जिला – शिमला (हिमाचल प्रदेश) -171006 मोबाइल – 09418033874 ई - मेल :negiarjun1987@gmail.com

8 thoughts on “विश्वविद्यालय की हड़ताल

  • लीला तिवानी

    प्रिय अर्जुन भाई जी, अति सुंदर समसामयिक कविता के लिए आभार.

    • अर्जुन सिंह नेगी

      धन्यवाद

    • अर्जुन सिंह नेगी

      धन्यवाद

  • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

    ना तो वोह ऋषि मुनि रहे जिन के पास जंगलों में बने आश्रमों में शिष्य जाया करते थे और ना ही वोह अधियापक रहे जिन को गुरु दक्ष्ना दी जाती थी ,आज तो एक पागलपन सा का वातावरण हो गिया है इन विश्व्विद्यालिओ में .जवानी की उम्र ,माँ बाप का पैसा तीन चार साल उड़ा कर बाद में नौक्रिओं की तलाश में मारे मारे फिरते हैं .

  • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

    ना तो वोह ऋषि मुनि रहे जिन के पास जंगलों में बने आश्रमों में शिष्य जाया करते थे और ना ही वोह अधियापक रहे जिन को गुरु दक्ष्ना दी जाती थी ,आज तो एक पागलपन सा का वातावरण हो गिया है इन विश्व्विद्यालिओ में .जवानी की उम्र ,माँ बाप का पैसा तीन चार साल उड़ा कर बाद में नौक्रिओं की तलाश में मारे मारे फिरते हैं .

    • अर्जुन सिंह नेगी

      प्रतिक्रिया के लिए धन्यवाद सर, यही सब देखकर दुःख होता है

    • अर्जुन सिंह नेगी

      प्रतिक्रिया के लिए धन्यवाद सर, यही सब देखकर दुःख होता है

  • मनोज चौहान

    सुंदर रचना अर्जुन नेगी जी ….मौजूदा परिदृश्य में शिक्षण संस्थानों में हो रहे उपद्रव को उजागर करती हुई सटीक अभिव्यक्ति ….बधाई …!

    • अर्जुन सिंह नेगी

      धन्यवाद चौहान साहब

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