लघुकथा

लघुकथा- माँ

हरिया ने घास का पुला बॉस पर जमाते हुए चेताया, “रामू ! तू उस छेद को ढक दे. उस से धूप आ सकती है.”

तभी रमिया बोली, “केशु के बापू ! जरा सम्हल कर. उधर का बाँस हल्का है.”

सुन कर कमलू हंस दिया, “ भोजाई ! बड़ी चिंता है.”

“चिंता तो करनी पड़े है. इस घर के ये दो ही प्राणी है जो घर चलाते है.”

“सही कहती हो भोजाई जी. हम तो हम्माल हैं.” रामू कुछ ओर कहता कि हरिया बोल पड़ा, “अरे ओ रामू, हम सब को उसी ने पाला है. इसलिए उस के घर की चिंता करो. उस का यह घर भी जोरदार होना चाहिए.”

“तो यह घर आप लोग, अपने लिए नहीं बना रहे हो ?” तभी सड़क पर निकलते हुए शहरी बाबू ने पूछा.

“यह घर तो जच्चा-बच्चा के लिए तैयार हो रहा है बाबू.” कहते हुए हरिया ने हाथ का पुला बाँस के नीचे जमा दिया.

“जच्चा-बच्चा के लिए?” शहरी बाबू रुक गए.

“यह हमारी गोऊमाता रधिया के लिए तैयार हो रहा है बाबू जी .”

 

*ओमप्रकाश क्षत्रिय "प्रकाश"

नाम- ओमप्रकाश क्षत्रिय ‘प्रकाश’ जन्म- 26 जनवरी’ 1965 पेशा- सहायक शिक्षक शौक- अध्ययन, अध्यापन एवं लेखन लेखनविधा- मुख्यतः लेख, बालकहानी एवं कविता के साथ-साथ लघुकथाएं. शिक्षा-बीए ( तीन बार), एमए (हिन्दी, अर्थशास्त्र, राजनीति, समाजशास्त्र, इतिहास) पत्रकारिता, लेखरचना, कहानीकला, कंप्युटर आदि में डिप्लोमा. समावेशित शिक्षा पाठ्यक्रम में 74 प्रतिशत अंक के साथ अपने बैच में प्रथम. रचना प्रकाशन- सरिता, मुक्ता, चंपक, नंदन, बालभारती, गृहशोभा, मेरी सहेली, गृहलक्ष्मी, जाह्नवी, नईदुनिया, राजस्थान पत्रिका, चैथासंसार, शुभतारिका सहित अनेक पत्रपत्रिकाआंे में रचनाएं प्रकाशित. विशेष लेखन- चंपक में बालकहानी व सरससलिस सहित अन्य पत्रिकाओं में सेक्स लेख. प्रकाशन- लेखकोपयोगी सूत्र एवं 100 पत्रपत्रिकाओं का द्वितीय संस्करण प्रकाशनाधीन, लघुत्तम संग्रह, दादाजी औ’ दादाजी, प्रकाशन का सुगम मार्गः फीचर सेवा आदि का लेखन. पुरस्कार- साहित्यिक मधुशाला द्वारा हाइकु, हाइगा व बालकविता में प्रथम (प्रमाणपत्र प्राप्त). मराठी में अनुदित और प्रकाशित पुस्तकें-१- कुंए को बुखार २-आसमानी आफत ३-कांव-कांव का भूत ४- कौन सा रंग अच्छा है ? संपर्क- पोस्ट आॅफिॅस के पास, रतनगढ़, जिला-नीमच (मप्र) संपर्कसूत्र- 09424079675 ई-मेल [email protected]