कविता

घनाक्षरी : अंग्रेजी को आग दो

निजी शिक्षण संस्थान, धड़ल्ले से सीना तान,
खोल रखे हैं दुकान, अंग्रेजी के नाम की।
देश की जमीं में आज, अंग्रेजी की डाल खाद,
खेती जो होती आबाद, भला किस काम की?

अंग्रेजी की ये पढ़ाई, प्रतिष्ठा की है लड़ाई,
लोगों की है ये बड़ाई, आज इस देश में।
गोरे गए देश छोड़, पीछे छोड़ा हिन्दी चोर,
मैकाले का स्वप्न घोर, अंग्रेजी के वेश में।।

शिक्षण से विमुख हैं, विद्यार्थी से बेरुख हैं,
पैसा जिनकी भूख है, अंग्रेजी के संस्थान।
नकल को बढ़ावा दे, अकल को छलावा दे,
शकल को दिखावा दे, अंग्रेजी कद्रदान।।

शिक्षा का पतन भारी, डिग्री की ही मारामारी,
अंग्रेजी की मांग भारी, छायी चहुँ ओर है।
संस्कृति लुट रही है, हिन्दी आज रो रही है,
संताने क्यों सो रही है, स्थिति घनघोर है।।

देश का विकाश चाहो, खोया आत्म बल चाहो,
निज भाषा शिक्षा चाहो, विदेशी को त्याग दो।
स्वाभिमानी वेश के, धनी अपनी ठेस के,
नवयुवकों देश के, अंग्रेजी को आग दो।।

बासुदेव अग्रवाल ‘नमन’
तिनसुकिया

बासुदेव अग्रवाल 'नमन'

नाम- बासुदेव अग्रवाल; जन्म दिन - 28 अगस्त, 1952; निवास स्थान - तिनसुकिया (असम) रुचि - काव्य की हर विधा में सृजन करना। हिन्दी साहित्य की हर प्रचलित छंद, गीत, नवगीत, हाइकु, सेदोका, वर्ण पिरामिड, गज़ल, मुक्तक, सवैया, घनाक्षरी इत्यादि। सम्मान- मेरी रचनाएँ देश के सम्मानित समाचारपत्र और अधिकांश प्रतिष्ठित वेब साइट में नियमित रूप से प्रकाशित होती रहती हैं। हिन्दी साहित्य से जुड़े विभिन्न ग्रूप और संस्थानों से कई अलंकरण और प्रसस्ति पत्र नियमित प्राप्त होते रहते हैं। प्रकाशित पुस्तकें- गूगल प्ले स्टोर पर मेरी दो निशुल्क ई बुक प्रकाशित हैं। (1) "मात्रिक छंद प्रभा" जिसकी गूगल बुक आइ डी :- 37RT28H2PD2 है। (यह 132 पृष्ठ की पुस्तक है जिसमें मात्रिक छंदों की मेरी 91 कविताएँ विधान सहित संग्रहित हैं। पुस्तक के अंत में 'मात्रिक छंद कोष' दिया गया है जिसमें 160 के करीब मात्रिक छंद विधान सहित सूचीबद्ध हैं।) (2) "वर्णिक छंद प्रभा" जिसकी गूगल बुक आइ डी :- 509X0BCCWRD है। (यह 134 पृष्ठ की पुस्तक है जिसमें वर्णिक छंदों की मेरी 95 कविताएँ विधान सहित संग्रहित हैं। पुस्तक के अंत में 'वर्णिक छंद कोष' दिया गया है जिसमें 430 के करीब वर्णिक छंद विधान सहित सूचीबद्ध हैं।)