लघुकथा : सजावट
अम्मा के खाँसने की आवाज सुनकर, घर सहेजने में लगी रजनी, दीपक से बोली – “पुराना सामान तो स्टोर में रख दिया है, पर इनका क्या करें ?”
दोनों के माथे पर चिंता की रेखाएँ खिंच गयीँ ।
फिर दीपक ने सुझाया – “अम्मा को पीछे वाले कमरे में बिठा देते हैं ।”
रजनी बोली – “बाहर से बन्द करना पड़ेगा । कहीं आफिस वालों के सामने, अम्मा टूटी बत्तीसी और टूटा चश्मा लेकर आ टपकीं, तो हमारी कितनी बेइज्जती होगी !… और हाँ, ये माँ जी की ‘फोटो’ ड्राइंग रूम में जरूर रख देना ।”
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— राम दीक्षित ‘आभास’
प्रिय राम दीक्षित भाई जी, अति मर्मस्पर्शी लघुकथा के लिए आभार.
धन्यवाद जी