“दोहा”
हरिहर अपने धाम में, रखें भूत बैताल
गणपति बप्पा मोरया, सदा सर्व खुशहाल।।-1
बाबा शिव की छावनी, गणपति का ननिहाल
धन्य धन्य दोनों पुरा, गौरा माला माल।।-2
शिव सत्य वाहन नंदी, डमरू नाग त्रिशूल
भस्म भंग हैं औघड़ी, मृगछाला अनुकूल।।-3
चौदह स्वर डमरू के, सारेगामा सार
जूट जटा गंगा धरें, शिव बाबा संसार।।-4
सोलह कला की चंदा, धारण करते नाथ
अर्ध भागी पार्वती, सोहें शिव के साथ।।-5
महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी