कविता

“दोहा”

हरिहर अपने धाम में, रखें भूत बैताल
गणपति बप्पा मोरया, सदा सर्व खुशहाल।।-1

बाबा शिव की छावनी, गणपति का ननिहाल
धन्य धन्य दोनों पुरा, गौरा माला माल।।-2

शिव सत्य वाहन नंदी, डमरू नाग त्रिशूल
भस्म भंग हैं औघड़ी, मृगछाला अनुकूल।।-3

चौदह स्वर डमरू के, सारेगामा सार
जूट जटा गंगा धरें, शिव बाबा संसार।।-4

सोलह कला की चंदा, धारण करते नाथ
अर्ध भागी पार्वती, सोहें शिव के साथ।।-5
महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी

*महातम मिश्र

शीर्षक- महातम मिश्रा के मन की आवाज जन्म तारीख- नौ दिसंबर उन्नीस सौ अट्ठावन जन्म भूमी- ग्राम- भरसी, गोरखपुर, उ.प्र. हाल- अहमदाबाद में भारत सरकार में सेवारत हूँ