गीतिका/ग़ज़लपद्य साहित्य

ग़ज़ल

सारी सारी रात-जग जिन के लिए

पूछते वे जागरण किन के लिए |1|

चाँद तारों तो  झुले  हैं  रात में

एक सूरज को रखा दिन के लिए |२|

आसान नहीं भूलना यूँ भूत को

आज तक तो मोह है इन के लिए |३|

रात भर आँसू कभी थमती नहीं

अश्रु जल यूँ लुडकते किन के लिए|४ |

वो सुखी हैं या दुखी किन को पता

फूल जंगल में खिले किन के लिए |५|

जानते थे हम जुदा होंगे कभी

क्या जतन करते कभी इन के लिए |६|

अब इन्हें संसार में आना नहीं

कौन रोये इस जहाँ इन के लिए |७|

वो कभी पीड़ा समझना चाहती

क्लेश हम पीते गए जिनके लिए |८|

 

कालीपद ‘प्रसाद’

*कालीपद प्रसाद

जन्म ८ जुलाई १९४७ ,स्थान खुलना शिक्षा:– स्कूल :शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय ,धर्मजयगड ,जिला रायगढ़, (छ .गढ़) l कालेज :(स्नातक ) –क्षेत्रीय शिक्षा संस्थान,भोपाल ,( म,प्र.) एम .एस .सी (गणित )– जबलपुर विश्वविद्यालय,( म,प्र.) एम ए (अर्थ शास्त्र ) – गडवाल विश्वविद्यालय .श्रीनगर (उ.खण्ड) कार्यक्षेत्र - राष्ट्रीय भारतीय सैन्य कालेज ( आर .आई .एम ,सी ) देहरादून में अध्यापन | तत पश्चात केन्द्रीय विद्यालय संगठन में प्राचार्य के रूप में 18 वर्ष तक सेवारत रहा | प्राचार्य के रूप में सेवानिवृत्त हुआ | रचनात्मक कार्य : शैक्षणिक लेख केंद्रीय विद्यालय संगठन के पत्रिका में प्रकाशित हुए | २. “ Value Based Education” नाम से पुस्तक २००० में प्रकाशित हुई | कविता संग्रह का प्रथम संस्करण “काव्य सौरभ“ दिसम्बर २०१४ में प्रकाशित हुआ l "अँधेरे से उजाले की ओर " २०१६ प्रकाशित हुआ है | एक और कविता संग्रह ,एक उपन्यास प्रकाशन के लिए तैयार है !