बढ़ी उमर गुजरी हुई, साथी संग मुकाम
रफ़्ता रफ़्ता सरकती, जीवन पहिया शाम
जीवन पहिया शाम, न बिछड़े बैरी का भी
बहुत कठिन आयाम, बुढ़ापा बड़ घर का भी
कह गौतम कविराय, बिना बेसना की कढ़ी
संगिनी है सहाय, उमर ज्यों पग पग बढ़ी॥
शीर्षक- महातम मिश्रा के मन की आवाज
जन्म तारीख- नौ दिसंबर उन्नीस सौ अट्ठावन
जन्म भूमी- ग्राम- भरसी, गोरखपुर, उ.प्र.
हाल- अहमदाबाद में भारत सरकार में सेवारत हूँ