कविता

आना जाना शुरू हो गया

नया बहाना शुरू हो गया
देना दाना शुरू हो गया
रूठा रूठा रहता था जो
उसे मनाना शुरू हो गया

हैरां था मैं सोच सोच कर
सबको मेरी सुध क्यों आयी
ऐसा क्या परिवर्तन आया
गले लगाना शुरू हो गया

तुष्टिकरण में माहिर है जो
उनका भी नाटक चालू है
भले न रोजा रखते है पर
इफ्तारी खाना शुरू हो गया

कोई आया फूलों के संग
कोई सपनो में भरता रंग
नये तरीके नयी सलाहें
जाल बनाना शुरू हो गया

शुक्ला पांडे यादव झा जी
मियाँ सलामत , नुशरत बाजी
अच्छा खुद को कहे औरो को
बुरा बताना शुरू हो गया

यहाँ मैं घुट कर तंग हो गया
इससे मोह भी भंग हो गया
इसको छोड़ा उसको पकड़ा
आना जाना शुरू हो गया

मनोज “मोजू”

मनोज डागा

निवासी इंदिरापुरम ,गाजियाबाद ,उ प्र, मूल निवासी , बीकानेर, राजस्थान , दिल्ली मे व्यवसाय करता हु ,व संयुक्त परिवार मे रहते हुए , दिल्ली भाजपा के संवाद प्रकोष्ठ ,का सदस्य हूँ। लिखना एक शौक के तौर पर शुरू किया है , व हिन्दुत्व व भारतीयता की अलख जगाने हेतु प्रयासरत हूँ.