तुम्हारे नाम लिखेंगे
हर गीत और कविता तुम्हारे नाम लिखेंगे
जो कुदरत ने दिया वो तुम्हें इनाम लिखेंगे।
ज्ञान हमें छंद-बंधों का नही लेकिन ं
सीधे शब्दों में दिल का पैगाम लिखेंगे।
नही समझ पाते हो तुम जो मेरा मौन निमन्त्रण
अब हाल-ए-दिल हम भी सर-ए-आम लिखेंगे।
तुम्हारे ग़ज़लों में चाहें ना हो कोई ज़िक्र मेरा
अपने लफ़्ज़ों में तुझे सुबह शाम लिखेंगे।
मर जाएंगे छोड़ा जो तुमने कभी साथ मेरा
तुम पर ही अपने क़त्ल का इलज़ाम लिखेंगे।