कविता

कविता: सोचो जब हम न रहे

सोचो जब हम न रहे, तो क्या अपना रह जाएगा
रिश्ते-नाते धन-दौलत सब, यहीं धरा रह जाएगा !!

तिनका-तिनका जोड़ के, खड़ा किया ये आशियां और
कहलाने वाला हर शक्स अपना, अजनबी बन जाएगा !!

सिलसिला बातों का यूँ तो, हम में कभी रुकता नहीं
अनकहा फिर भी बहुत है, जो दिल में ही रह जाएगा !!

ग़ज़ल लिख कर कहते हैं, दिल का हाल हम दोस्तो
फिर भी बहुत है दिल में छुपा, जो साथ मेरे चला जाएगा !!

अंजु गुप्ता

*अंजु गुप्ता

Am Self Employed Soft Skill Trainer with more than 24 years of rich experience in Education field. Hindi is my passion & English is my profession. Qualification: B.Com, PGDMM, MBA, MA (English), B.Ed

2 thoughts on “कविता: सोचो जब हम न रहे

  • उपासना सियाग

    बस नाम ही रह जायेगा ….बहुत सुन्दर

    • अंजु गुप्ता

      आप का बहुत – बहुत शुक्रिया

Comments are closed.