बाल कहानी : रिज़ल्ट का चक्कर
राजू,अपना रिजल्ट तो दिखाओ,_जैसे ही राजू ने घर में कदम रखा उसकी बडी बहन मीरा ने कहा ।
राजू पढने में बहुत अच्छा था।उसके पेपर भी अच्छे हुए थे।यह बात मीरा दीदी जानती थी फिर भी रिजल्ट देख कर तसल्ली करना चाहती थी। राजू को भी अपने परिणाम पर विश्वास था इसलिए उसने भी दीदी को दे दिया ।माँ कुछ खाने दो न बडी जोर से भूख लगी है कहते हुए किचन में चला गया। माँ जानती थी कि सुबह रिजल्ट लेने की जल्दी में राजू बिना नाश्ता किए स्कूल चला गया था।।अभी राजू ने निवाला मुंह में डाला ही था कि दीदी की आवाज आई। आवाज की तल्खी से वो समझ गया कि कुछ तो गडबड है। नाश्ता छोड़ कर दौड़ कर दी के पास आया _क्या बात है दी।
तू तो कह रहा है कि तू फर्स्ट आया है इसमें तो फेल लिखा है।
राजू ने घबराते हुए कहा _ये कैसे हो सकता है दी सर ने तो पूरी क्लास के सामने कहा था कि मैं फर्स्ट आया हूँ।
मीरा ने रिजल्ट देते हुए कहा लो खुद ही देख लो।
राजू ने तुरंत रिजल्ट देखा और दी का सही निकला ।यह देख राजू का सिर घूमने लगा। उसकी समझ ही नहीं आ रहा था कि ये क्या हो गया है।वह सोचते सोचते बाहर लॉन में आ गया। तभी उसे ख्याल आया कि जब वह और रमेश रिजल्ट ले कर क्लास से निकल रहे थे तभी क्लास टीचर ने कहा था_राजू जरा यह कुछ किताबें और रजिस्टर आकाश टीचर को दे आओ।राजू क्लास मानिटर था साथ ही सबका चहेता भी था ।अपना रिजल्ट रमेश को थमा कर उसे रुकने कह कर राजू चला गया।जब लौट कर आया तो रमेश को अॉफिस से निकलते देखा ।जब राजू ने पूछा तो रमेश टाल गया।अब राजू को कुछ समझ आने लगा था।इसलिए वह तेजी से रमेश के घर पहुँच गया।राजू को देख कर रमेश की मम्मी उसे मिठाई खिलाते हुए बोली _आओ राजू मिठाई खाऔ रमेश फर्स्ट आया है।रमेश के एक तो पेपर अच्छे नहीं हुए थे ।वो तो खुद फेल होन से डर रहा था और ये मम्मी खुश हो रही है।राजू को समझ आने लगा था पर उसने आंटी को कुछ नहीं बताया।बस इतना कहा आप मेरी मम्मी और दी के साथ स्कूल चलेगी। किसी को कुछ पता नहीं चल पा रहा कि क्यों चलने कह रहा।फिर भी सब स्कूल पहुंचे।अॉफिस में उसने सिंह सर से रिजल्ट वाला रजिस्टर मांगा और सबको दिखाया। रमेश घबरा गया।सर ने बताया कि रमेश ने मुझसे इंक रबर और वाइन्टनर मांगा था।तब राजू ने सारी बात सर को बताई।।इस पर सर ने कहा मैडम जी आपलोग ने जल्दबाजी में नबरं नहीं देखे ,बस पास फेल देख कर गलत समझ गए। रमेश रोने लगा और शर्मिंदा होने लगा।उसकी मम्मी भी रमेश की तरफ से माफी मांगने लगी।तब राजू की मम्मी ने बात सम्हालते हुए कहा _अब जाने दीजिये गलती तो बच्चों से ही होती है आप दुखी मत होईए।फिर रमेश को भी समझाया कि खूब मन लगा कर पढो खूब मेहनत करो।इस तरह चींटिग करके फर्स्ट आने से फेल होना अच्छा है।रमेश की मम्मी ने भी समझाया ।रमेश ने अपनी गलती मांनी और वादा किया कि वह अब कभी ऐसा काम नहीं करेगा साथही खूब मेहनत करेगा।यह सुनकर सबने उसे गले लगा लिया।राजू और रमेश भी गले लग गए फिर दोनों खेलने चले गए।
— डॉ अमृता शुक्ला, रायपुर
ऐसा हो जाता है, बच्चे ही नहीं बड़े भी रिजल्ट के नाम पर थोड़े आशंकित होते हैं ….सुन्दर कहानी