मैं प्रणय निवेदन करता हूं…
मैंमैं प्रणय निवेदन करता हूं, स्वीकार करो स्वीकार करो।
मन मंदिर आन बसो मेरे, मन वीणा में झंकार भरो॥
अंतर पट खोल के बैठा हूं, मन गहन प्रतिक्षारत मेरा।
स्वागत करने को आतुर है, मन प्रीत रीत में रत मेरा॥
अभिलाषित मन के भावों में, आलोकिक प्रेम अपार भरो…..
मन मंदिर आन बसो मेरे, मन वीणा में झंकार भरो…..
पुलकित सी है दिल की धडकन, कुछ नवल राग स्पंदित है।
यूं करता है महसूस ये दिल, अनुबंध बिना अनुबंधित है॥
आहट से ही आनंदित है, मन स्वप्न सभी साकार करो….
मन मंदिर आन बसो मेरे, मन वीणा में झंकार भरो……
भावों के पुष्प दिया दिल का, विश्वास को थाल बनाया है।
स्वागत करने को नयनो ने, पलकों का द्वार सजाया है॥
वंदन पूजन अर्चन मेरे, दिल का दिल से स्वीकार करो…..
मन मंदिर आन बसो मेरे, मन वीणा में झंकार भरो……
आवेदन ठुकरा न देना, तुम बिन जीना मुश्किल होगा।
साँसें शायद न रुकें मगर, बिन धडकन दिल क्या दिल होगा॥
अपने इस प्रेम पुजारी पर, प्रियतम बनकर उपकार करो……
मन मंदिर आन बसो मेरे, मन वीणा में झंकार भरो……
सतीश बंसल प्रणय निवेदन करता हूं, स्वीकार करो स्वीकार करो।
मन मंदिर आन बसो मेरे, मन वीणा में झंकार भरो॥
अंतर पट खोल के बैठा हूं, मन गहन प्रतिक्षारत मेरा।
स्वागत करने को आतुर है, मन प्रीत रीत में रत मेरा॥
अभिलाषित मन के भावों में, आलोकिक प्रेम अपार भरो…..
मन मंदिर आन बसो मेरे, मन वीणा में झंकार भरो…..
पुलकित सी है दिल की धडकन, कुछ नवल राग स्पंदित है।
यूं करता है महसूस ये दिल, अनुबंध बिना अनुबंधित है॥
आहट से ही आनंदित है, मन स्वप्न सभी साकार करो….
मन मंदिर आन बसो मेरे, मन वीणा में झंकार भरो……
भावों के पुष्प दिया दिल का, विश्वास को थाल बनाया है।
स्वागत करने को नयनो ने, पलकों का द्वार सजाया है॥
वंदन पूजन अर्चन मेरे, दिल का दिल से स्वीकार करो…..
मन मंदिर आन बसो मेरे, मन वीणा में झंकार भरो……
आवेदन ठुकरा न देना, तुम बिन जीना मुश्किल होगा।
साँसें शायद न रुकें मगर, बिन धडकन दिल क्या दिल होगा॥
अपने इस प्रेम पुजारी पर, प्रियतम बनकर उपकार करो……
मन मंदिर आन बसो मेरे, मन वीणा में झंकार भरो……
सतीश बंसल