शहरों में है गरीबी को पचाने की क्षमता
शहरों में गरीबी को पचाने की क्षमता है – मोदी … (स्मार्ट शहर और भी स्मार्टली पचा सकेंगे गरीबों को।) इस वाक्य में जरा सी भी अतिशयोक्ति नहीं है। क्योकि यह प्रारंभ से ही जानी-मानी बात है कि अनाज, सब्जी, फल आदि कृषि उत्पाद उपजते तो गाँव के खेतों में हैं, पर बिकते हैं शहरों में। गाँव के किसान भी शहरों से अपने घर के लिए जरूरत के सामान खरीद कर लाते हैं। शहरो में काम करने वाले हर प्रकार के लोग हैं, जिनका कहीं-न-कहीं या कभी-न-कभी गांव से सम्बन्ध रहा है। इतना जरूर है कि शहरों में सम्पन्नता दीखती है तो आज भी बहुत सारे गांव विपन्न हैं। कुछ गांव समय के साथ बदले जरूर हैं। सड़कों से जुड़ने के बाद और बिजली की पहुँच के बाद गांवों की जीवन-शैली में भी बदलाव आया है और परिवर्तन ही तो प्रगति का परिचायक है। अब अधिकांश गांवों में काफी दोपहिया वाहन और इक्के-दुक्के चौपहिया वाहन भी देखे जा रहे हैं। हरेक घरों में टी वी और हर हाथ में मोबाइल देखे जा रहे हैं। नौजवान शिक्षा के प्रति जागरूक हैं, वे गांव से शहर की और रुख कर रहे हैं ताकि वे तरक्की कर सकें। उन्हें गलत आदतों से छुटकारा पाना होगा। जी जान से कड़ी मिहनत करनी होगी। शॉर्टकट नहीं, सही और सच्चे रास्ते का चुनाव करना होगा।
प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार(२५.०६.१६) को पुणे में स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट्स को लॉन्च किया। उन्होंने कहा कि अर्बनाइजेशन को बड़ा संकट माना गया है, लेकिन मेरा सोचना अलग है। शहरों में गरीबी को पचाने की ताकत होती है। हमें इसमें अवसर की तलाश करनी चाहिए। पीएम ने इसे बहुत बड़ा आंदोलन बताया। बता दें कि ‘स्मार्ट सिटी चैलेंज कॉम्पिटीशन’ के पहले फेज के लिए चुने गए 20 शहरों में ये प्रोजेक्ट्स शुरू होंगे। इनमें 48 हजार करोड़ का इन्वेस्टमेंट होगा। मोदी ने कहा- “हमारे देश में ऐसा तो नहीं है कि पहले कोई काम नहीं होता था। ऐसा भी नहीं है कि सरकारें बजट खर्च नहीं करती थीं। इसके बावजूद भी दुनिया के कई देश हमारे बाद आजाद हुए। बहुत ही कंगाल थे। लेकिन वह आर्थिक बदहाली से बाहर आए।” क्या वजह है कि कम समय में दुनिया के कई देश हमसे आगे निकल गए। लेकिन हम ऐसा नहीं कर पाए। आने वाले दिनों में एक बड़े बदलाव का काम होने वाला है। हमें यह काम जनभागीदारी से शुरू करना होगा। अगर एक बार देश के सवा सौ करोड़ लोग अपनी ताकत को झोंक दें, तो किसी भी सरकार की जरूरत नहीं होगी। अर्बनाइजेशन कोई प्रॉब्लम नहीं है. सभी के मन में अपने शहर को नंबर वन बनाने की इच्छा है। अर्बनाइजेशन को बड़ा संकट माना गया है, लेकिन मेरा सोचना अलग है। हमें इसे मौके के तौर पर समझना चाहिए। अवसरों को तलाशना जरूरी है। गरीबी पचाने की सबसे बड़ी ताकत शहरों में होती है। जहां ज्यादा गरीबी होती है, वहां से लोग निकलकर शहर पहुंचते हैं। उन्हें शहर में काम मिलने की उम्मीद होती है। अरबन डेवलपमेंट मिनिस्टर वेंकैया नायडू ने कहा- MODI का मतलब- मेकिंग ऑफ़ डेवलपिंग इंडिया . (मोदी जी अक्सर शब्दों के मतलब उसे तोड़ कर बताते हैं, इस बार वेंकैया नायडू ने उनके नाम का मतलब बताया। -अच्छा लगा होगा मोदी जी को भी)
“देश की कई बेहतरीन योजनाओं की शुरुआत पुणे से हुई है। इसलिए हमने इसके लिए पुणे को सिलेक्ट किया। तिलक के स्वराज से लेकर, तुकाराम, महात्मा फुले तक कई आंदोलन यहीं से हुए।” यह अरबन डेवलपमेंट का ऐतिहासिक दिन है। यह प्रोजेक्ट भी यहां से शुरू हो रहा है।”
इस मौके पर मोदी ने मेक योर सिटी कॉन्टेस्ट भी लॉन्च किया। यहां स्मार्ट सिटी पर बनी शार्ट फिल्म दिखाई गई। इसका शहर के 40 स्पॉट्स पर लाइव टेलिकास्ट का अरेंजमेंट किया गया था। मोदी ने स्मार्ट नेट पोर्टल भी लॉन्च किया। ‘मेक योर सिटी स्मार्ट’ का मकसद सड़कों, जंक्शन और पार्कों की डिजाइन तय करने में नागरिकों को शामिल करना है। आम लोगों की सुझाई गई डिजाइन उनकी स्मार्ट सिटी में शामिल की जाएंगी। कॉम्पिटीशन जीतने वालों को 10,000 से 1,00,000 रुपए तक के अवॉर्ड दिए जाएंगे।
इन फैसिलिटीज से लैस होंगी स्मार्ट सिटी
* वर्ल्ड क्लास ट्रांसपोर्ट सिस्टम * 24 घंटे बिजली-पानी की सप्लाई * सरकारी कामों के लिए सिंगल विंडो सिस्टम * एक जगह से दूसरे जगह तक 45 मिनट में जाने की व्यवस्था *स्मार्ट एजुकेशन * एन्वायरन्मेंट फ्रैंडली * बेहतर सिक्युरिटी और एंटरटेनमेंट की फैसिलिटीज।
स्मार्ट सिटी बनाने के लिए सबसे पहले मोदी सरकार के पहले बजट में घोषणा की गई थी।
बजट में 7060 करोड़ रुपए का फंड भी अलॉट किया गया था।
स्मार्ट सिटी मिशन को शुरू हुए एक साल पूरा होने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को पुणे के स्मार्ट सिटी के तहत 14 प्रोजेक्ट्स को लॉन्च किया। इतना ही नहीं उन्होंने यहां से वीडिया कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये अन्य शहरों के 69 प्रोजेक्ट्स को भी लॉन्च किया। इन प्रोजेक्ट्स में संयुक्त रूप से कुल 1770 करोड़ रुपए का निवेश किया जा रहा है। ‘स्मार्ट सिटी चैलेंज कॉम्पिटीशन’ के पहले फेज के लिए चुने गए 20 शहरों में ये प्रोजेक्ट्स शुरू हो जाएंगे। इनमें 48 हजार करोड़ का इन्वेस्टमेंट होगा। मोदी के आने से पहले यहां कांग्रेस वर्कर्स ने विरोध-प्रदर्शन किया।
इसी प्रोग्राम में मोदी ने मेक योर सिटी कॉन्स्टेंट लॉन्च किया। यहां स्मार्ट सिटी पर बनी शार्ट फिल्म दिखाई। इस कार्यक्रम का शहर के 40 स्पॉट्स पर लाइव टेलिकास्ट हो रहा है।
स्मार्ट नेट पोर्टल भी पीएम मोदी ने किया लांच। प्रोग्राम में अर्बन डेवलपमेंट मिनिस्टर एम. वैंकेया नायडू, महाराष्ट्र के गवर्नर विद्यासागर राव और सीएम देवेंद्र फड़णवीस भी मौजूद रहे।
पहले चरण में ये शहर बनेंगे स्मार्ट सिटी
- भुवनेश्वर 2. पुणे 3. जयपुर 4. सूरत 5. कोच्चि 6. अहमदाबाद 7. जबलपुर 8. विशाखापत्तनम 9. सोलापुर 10. डावंगेरे 11. इंदौर 12. न्यू दिल्ली 13. कोयम्बटूर 14. ककिनाडा 15. बेलगाम 16. उदयपुर 17. गुवाहाटी
18. चेन्नई 19. लुधियाना 20. भोपाल
इसी कार्यक्रम के दौरान श्री मोदी वैशाली नामकी ६ साल छोटी बच्ची वैशाली से मिले जिसके हार्ट में छेद था और उसके इलाज के लिए उसके पिता और परिवार के पास पैसे नहीं थे। उसने अपनी इलाज के लिए श्री मोदी को चिट्ठी लिखी थी। श्री मोदी ने उसका इलाज पुणे के अस्पताल में सरकारी खर्च से करवाया. ठीक हो जाने के बाद वैशाली ने उन्हें थैंक यु लिखा था और उनसे मिलाने की ईच्छा जाहिर की थी। मोदी ने उसे निराश नहीं किया और पुणे के कार्यक्रम में उससे मिले उसे चोकोलेट्स के साथ ढेर सारा आशीर्वाद भी दिया। इसके अलावा मोदी जी उस रिटायर्ड शिक्षक चंद्रकांत कुलकर्णी से मिले जिन्होंने अपने १६००० प्रति माह मिलने वाले पेंशन के लगभग एक तिहाई (५००० रुपये प्रति माह) स्वच्छता अभियान के लिए दान में दे दिए। इसके अलावा श्री मोदी पुणे इंजीनियरिंग कॉलेज के उन छात्रों से भी मिले जिन्होंने हाल ही में सेटेलाईट बनाई जिसे ISRO ने अभी हाल ही में २२ जून को लांच किया था। एक और सेटेलाईट मद्रास इंजीनियरिंग कॉलेज के छात्रों ने भी बनाया था, उसकी भी चर्चा मोदी जी ने २६ जून को अपने मन की बात में की।
यह सब मोदी जी के मानवीय पहलू को दर्शाता है। हमें ऐसे प्रधान मंत्री पर गर्व होना ही चाहिए। वह बात अलग है कि NSG की सदस्यता से वंचित करने में हमारे चिर विरोधी चीन ने ही गैर-जिम्मेदराना भूमिका निभायी। खैर यह सब अन्तराष्ट्रीय कूटनीति का मामला है जिसके लिए लगातार प्रयास करते रहने की जरूरत है। पर जम्मू कश्मीर आतंकी हमले और हमरे जवान लगातार शहीद हो रहे हैं उनपर सीधी कार्रवाई की जरूरत है। आखिर कब तक हमारे जवान मारे जाते रहेंगे और हम अहिंसा के पुजारी बने रहेंगे। सुना है मोदी जी अपने मंत्रियों से उनके कार्यकलापों के बारे में पूछताछ करनेवाले हैं. यह भी अच्छी बात है, एकाउंटेबिलिटी जरूरी है हर एक के लिए।
इधर अच्छी बात यह है कि मॉनसून देश के हर भाग में अपनी पहुँच बना रहा है। अच्छी बारिश हुई तो हमारा उत्पाद बढ़ेगा, आर्थिक गति बढ़ेगी, चाहे इंगलैंड और ब्रिटेन अपना जो भी निर्णय लेता रहे। हम अपना विकास, सबके साथ मिलकर करते रहेंगे। चुनाव के समय बहुत सी बातें होती हैं, होती रहेंगी। पर देश और देश की जनता सर्वोपरि है। वही किसी को सिंहासन और ताज सौंपती है तो ताज वापस भी ले लेती है। यही तो है लोकतंत्र की ताकत! जयहिंद! जय भारत!
– जवाहर लाल सिंह, जमशेदपुर