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स्वामी विवेकानंद पुण्यतिथि पर उनके 10 अनमोल विचार

12 जनवरी 1863 को कोलकाता में जन्मे स्वामी विवेकानंद की आज पुण्यतिथि है. 4 जुलाई साल 1902 को बेलूर मठ में मात्र 39 वर्ष की आयु में उनका स्वर्गवास हो गया था. विवेकानंद न सिर्फ युवाओं के बल्कि पूरे मानव समाज के लिए ही प्रेरणास्रोत हैं.

1. उठो, जागो और तब तक मत रुको, जब तक लक्ष्य की प्राप्ति न हो जाए. इस उद्धबोधन के जरिए ही विवेकानंद ने देश के युवाओं में जोश भरने का काम किया था.
2.इंसान, ईश्वर में तब तक विश्वास नहीं कर सकता, जब तक उसे खुद पर विश्वास न हो.
3.सुरक्षित राह पर चलने की नहीं बल्कि जोखिम उठाने की कोशिश करें, क्योंकि आप जीते तो आप संचालन करेंगे और अगर हारे तो मार्गदर्शन.
4. शक्ति ही जीवन है, क्योंकि कमजोरी तो मृत्यु समान है.
5.ऐसा कोई कार्य नहीं है, जो इंसान न कर सके क्योंकि सारा सामर्थ्य और ऊर्जा हमारे अंदर है. आप कुछ भी और सबकुछ कर सकते हैं.
6. दिन में एक बार स्वंय से बात करें, अन्यथा आप एक बेहतरीन इंसान से मिलने का मौका चूक जाएंगे.
7.व्यक्ति को जीवन की हर परिस्थिति में हमेशा नायक बनना चाहिए और बिना डरे अच्छी-बुरी हर स्थिति का सामना करना चाहिए.
8. एक बार में सिर्फ एक ही काम करें और उस एक काम में अपनी पूरी बुद्धि और आत्मा लगा दें.
9. हम वही बनते हैं जो हमारे विचारों ने हमें बनाया है, इसलिए आप क्या सोचते हैं इस बात का ख्याल रखें.
10. तुम्हें अंदर से विकसित होने की आवश्यकता है. आपकी अपनी आत्मा से बड़ा शिक्षक कोई और नहीं है.

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244

4 thoughts on “स्वामी विवेकानंद पुण्यतिथि पर उनके 10 अनमोल विचार

  • Man Mohan Kumar Arya

    आपने जो प्रथम 9 बिंदु लिखें वह अच्छे लगे। 10 वें बिंदु पर आशंका है। सभी आत्माओं को सच्चे ज्ञानी विद्वान, चरित्रवान, देशभक्त शिक्षक की आवश्यकता होती है। जिसे अच्छा गुरु वा गुरुजन न मिले उसकी आत्मा का विकास और उन्नति नहीं होती। अतः आत्मा की उन्नति के लिए एक पूर्ण ज्ञानी व सच्चरित्र शिक्षक की आवश्यकता अपरिहार्य है अन्यथा उसकी उन्नति न होकर वह जीवन के उद्देश्य को जान व प्राप्त नहीं कर सकेगा। मेरी दृष्टि से हमारी आत्मा से बड़ा शिक्षक ईश्वर, उसका ज्ञान वेद, ऋषि मुनियों के ग्रन्थ और हमारे गुरु जन होते हैं। सादर।

    • लीला तिवानी

      प्रिय मनमोहन भाई जी, यह भी स्वामी विवेकानंद जी का कथन है. हमारी आत्मा हमेशा हमें सही मार्गदर्शन करती है, लेकिन हम ही कभी काम, कभी क्रोध, कभी लोभ आदि के वश होकर भटक जाते हैं. प्रतिक्रिया द्वारा प्रोत्साहित करने के लिए आपको भी बधाई.

  • लीला बहन , सुआमी विवेकानंद जी के दस विचार बहुत उत्तम लगे .उन के जन्म दिन पर उन को कोटि कोटि नमन .

    • लीला तिवानी

      प्रिय गुरमैल भाई जी, प्रतिक्रिया द्वारा प्रोत्साहित करने के लिए आपको भी बधाई.

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