कुछ दोहे……….
विषय- वर्षा
उमड़ घुमड़ कर बादरा, बरसन को तैयार
हवा बहे तो जल चले, वरना चह बेकार॥
आस लगी नभ देखकर, चपला चमके मेह
सावन कजरी नायिका, बरसत वसुधा नेह॥
महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी
विषय- वर्षा
उमड़ घुमड़ कर बादरा, बरसन को तैयार
हवा बहे तो जल चले, वरना चह बेकार॥
आस लगी नभ देखकर, चपला चमके मेह
सावन कजरी नायिका, बरसत वसुधा नेह॥
महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी