हायकु
१..मिट्टी घट थे
निखारा होता गर
आसमा छूते|
२..कृतज्ञ बनें
मानों तो मात-पिता
गुरु से बड़े|
३…गुस्सा काहे का
उपजा दूजे सुख
मन का भ्रम|
४….प्यार से भेजा
गुलदस्ता दर्द का
दुआ के साथ |
५…दर्द अपार
अपना दूर कहीं
इच्छा मिलन|
६…सामंजस्य से
चले जीवन पथ
बने जीवन|
७…गप्प मार ही
समाज सुधारक
बने विकट|
८..दोषी औरत
ठहराते आदमी
कमी छुपाते |
९..तगड़ी धूप
सहना नियति हैं
नारी जीवन|
१०..धूप प्रखर
निखरता जीवन
साँझ पहर|..सविता मिश्रा