कविता : दुआयें
मन की बात बताऊँ
उस बहन को बहुत
सुकून मिलता है
जिसका भाई पापा को
अपना पापा कहकर
उनकी हिफाजत करता है
फिर उसे
मंदिर मंजिल गुरुद्वारे
जाने की जरूरत नही
जानते है
लम्बी उम्र की दुआए
बिन माँगे मिलती है
और
कामयाबी उसके कदम चूमे
बेसाख्ता मुहँ से निकलता है।
— कंचन आरजू, इलाहाबाद
बढ़िया !