बालगीत : धरती पर हरियाली छाई
आसमान से बारिश आई।
धरती पर हरियाली छाई।।
कोयल गाती मधुर तराना,
मौसम कितना हुआ सुहाना,
विद्यालय खुल गये हमारे,
करनी होगी हमें पढ़ाई।
धरती पर हरियाली छाई।।
भीग रहे बारिश में वानर,
बना नहीं पाये अपना घर,
चुनकर तिनके खूब बया ने,
अपनी सुन्दर कुटी बनाई।
धरती पर हरियाली छाई।।
लटक हैं जो कच्चे हैं,
टपक रहें है जो पक्के हैं,
आमों की बहार को लेकर,
लेकर आता मास जुलाई।
धरती पर हरियाली छाई।।
मेढक टर्र-टर्र चिल्लाते,
झरने मसती में इठलाते,
अब भी कहीं-कहीं सूखा है,
कहीं बाढ़ से हुई तबाही।
धरती पर हरियाली छाई।।
आँगन में पानी ही पानी,
बारिश की है यही कहानी,
अब बच्चों ने खुश हो करके,
कागज की है नाव बनाई।
धरती पर हरियाली छाई।।
— डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’
अच्छी बाल कविता !
प्रिय डॉ रूपचंद भाई जी, बहुत सुंदर बाल कविता के लिए आभार.