कविता : ज़ख्म मेरे दिल के वो…
ज़ख्म मेरे दिल के वो…
कुछ इस तरह भरता रहा
माँग माफ़ी, पिछली खता की
नई खता करता रहा !!
प्यार उसे तहे दिल से है
इतना यकीं हमको भी है
हर बार, नये जख़्मों से
वो दामन मेरा भरता रहा
माँग माफ़ी, पिछली खता की
नई खता करता रहा !!
— अंजु गुप्ता
वाह ! वाह !!
Thanks Vijay Ji