“गीतिका छंद”
गुरुपूर्णिमा के पावन अवसर पर, प्रथम गुरु माता-पिता के साथ सभी बड़ों एवं गुरुजनों को सादर प्रणाम, हार्दिक बधाई
(गीतिका छंद ,, 12/14 पर यति) 2122, 212- 221 22 212
ले चला हूँ आप का, साहित्य लोगों के लिए।
लिख रहा हूँ चाह की, पटरी बताने के लिए॥
ज्ञान के भंडार गुरु, वो दृष्टि अपनी दीजिए।
मात मोरी शारदे, निज सुत कृपा कर दीजिए॥
देखिए अनपढ़ रही, ये पाठ तरसी बांवरी।
मथ रहा हूँ रोज ला, जो हो गई है सांवरी॥
आज है दिन आप का, वंदन नमन गुरु आपको
भूल मत जाना प्रभों, गुरु पुरनिमा परसाद को॥
महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी