गुरु पूनम की वेला है
गुरु पूनम की वेला है, लगा यहां आज मेला है 16.7.16
गुरु-आशीष पाने का, समां प्यारा सुहेला है-
1.गुरु ने है बताया, सभी को है सिखाया, प्रभु से पहचान कैसे हो
वो कण-कण में समाया, जिसने चाहा है पाया, वो फिर अनजान कैसे हो
गुरु के संग बहारें हैं, तभी यहां आज मेला है-गुरु पूनम की वेला है——
2.करे जो शुकराने, सेवा का गुण जाने, वही गुरु का दुलारा है
गुरु को रब माने, गुणों को पहचाने, वही झिलमिल सितारा है
गुरु के संग बहारें हैं, तभी यहां आज मेला है-गुरु पूनम की वेला है——
3.गुरु का संग पाया, जीने का मज़ा आया, भला हम और चाहें क्या
सत्संग से सुख पाया, सिमरन से उन्हें ध्याया, भला अब और आगे क्या
गुरु के संग बहारें हैं, तभी यहां आज मेला है-गुरु पूनम की वेला है——
मुझे तो यह लगता है कि ईश्वर ही हमारा मुख्य गुरु है। आज कल किसी को गुरु बनाने में बहुत खतरे हैं। ऐसे भी गुरु हैं जिन्हें आत्मज्ञान जैसे शब्दों का अर्थ बोध भी नहीं है। कविता अच्छी है। क्षमापूर्वक अपने ह्रदय के विचार लिखें हैं।
गुरु पूर्णिमा की बधाई बहन , सुन्दर रचना
लीला बहन , गुर पूरिनमा दिवस पर लिखी यह रचना अत्ती उतम लगी .
प्रिय गुरमैल भाई जी, अति सुंदर प्रतिक्रिया के लिए आभार.