भजन/भावगीत

गुरु पूनम की वेला है

गुरु पूनम की वेला है, लगा यहां आज मेला है                              16.7.16
गुरु-आशीष पाने का, समां प्यारा सुहेला है-

 
1.गुरु ने है बताया, सभी को है सिखाया, प्रभु से पहचान कैसे हो
वो कण-कण में समाया, जिसने चाहा है पाया, वो फिर अनजान कैसे हो
गुरु के संग बहारें हैं, तभी यहां आज मेला है-गुरु पूनम की वेला है——

 
2.करे जो शुकराने, सेवा का गुण जाने, वही गुरु का दुलारा है
गुरु को रब माने, गुणों को पहचाने, वही झिलमिल सितारा है
गुरु के संग बहारें हैं, तभी यहां आज मेला है-गुरु पूनम की वेला है——

 
3.गुरु का संग पाया, जीने का मज़ा आया, भला हम और चाहें क्या
सत्संग से सुख पाया, सिमरन से उन्हें ध्याया, भला अब और आगे क्या
गुरु के संग बहारें हैं, तभी यहां आज मेला है-गुरु पूनम की वेला है——

 

 

 

 

 

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244

4 thoughts on “गुरु पूनम की वेला है

  • मनमोहन कुमार आर्य

    मुझे तो यह लगता है कि ईश्वर ही हमारा मुख्य गुरु है। आज कल किसी को गुरु बनाने में बहुत खतरे हैं। ऐसे भी गुरु हैं जिन्हें आत्मज्ञान जैसे शब्दों का अर्थ बोध भी नहीं है। कविता अच्छी है। क्षमापूर्वक अपने ह्रदय के विचार लिखें हैं।

  • अर्जुन सिंह नेगी

    गुरु पूर्णिमा की बधाई बहन , सुन्दर रचना

  • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

    लीला बहन , गुर पूरिनमा दिवस पर लिखी यह रचना अत्ती उतम लगी .

    • लीला तिवानी

      प्रिय गुरमैल भाई जी, अति सुंदर प्रतिक्रिया के लिए आभार.

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