गजल : मेरी ख्वाहिश
देश की शान मैं यूं बढाता रहूँ ।
शीश झुकने न दूं मैं कटाता रहूँ ।
काट दूँ हाथ वो,जो उठे देश पर,
दुश्मनो को युँ हीं मैं मिटाता रहूँ ।
में लड़ाई लड़ूं आखिरी सांस तक,
दुश्मनो को ठिकाने लगाता रहूँ ।
है तमन्ना यही साँस टूटे यहीं,
मात की गोद में प्यार पाता रहूँ ।
मौत भी गर मिले,फर्ज की राह में,
चूम लूँ मौत को,पर निभाता रहूँ ।
आरजू है मे’री जाऊँ’ तम पार तक,
दीप बनके उजाला बिछाता रहूँ ।
प्रीत रख देश से मातु बापू कहें,
हर जनम में तुझे पूत पाता रहूँ ।
सो रहे जो अभी जाग जाओ सभी,
भोर बनके सभी को जगाता रहूँ ।
देश का हर सिपाही कहे बस यही,
में सुमन की तरह,जां लुटाता रहूँ ।
✍?नवीन श्रोत्रिय “उत्कर्ष”
Shrotriya Mansion Bayana