गीत : मोदी पर विश्वास करो
(दलितों पर ज़ुल्म की कुछ घटनाओं के सन्दर्भ में, देश को तोड़ने वाली साजिशों से दलित समाज को आगाह करती और उनसे अपील करती नई कविता)
यह धरती अपने बेटों के सह सकती है घाव नही
एक वर्ग पर जुल्म सितम हो, यह समाज का भाव नही
राजे रजवाड़ों के दिन तो कब के जाने चले गए
जमींदार,चौधरियों वाले वक्त-ज़माने चले गए
जात पात का भेद मिटाया, समता के जज़्बातों ने
संविधान की रचना कर दी भीमराव के हाथों ने
जब विकास का मुद्दा आया, हिम्मत दी आशाओं को
आरक्षण की डोर थमा दी थी कमज़ोर भुजाओं को
सबकी बदली सोच, सभी ने मिलकर की भरपाई है
ऊंचे सिंघासन पर सबने माया बहन बिठाई है
देश प्रेम की खातिर छोड़ा, जातिवाद के लफ़ड़े को
दिल्ली वाला ताज दे दिया मोदी जैसे पिछड़े को
लेकिन कुछ घटनाओं पर ये कैसी आपाधापी है?
कुछ ज़ुल्मों के कारण कैसे पूरा भारत पापी है?
आज़ादी से लेकर अब तक घटी कई घटनाएं थीं
लालू के बिहार में दलितों पर भड़की ज्वालायें थीं
लेकिन आज मचा हंगामा, करता यही इशारा है
देश तोड़ने वालों को ये मोदी नहीं गवारा है
मुझे नहीं मोदी से मतलब मुझको भारत प्यारा है
छोटा बड़ा, हर इक बेटा भारत का राजदुलारा है
कहीं किसी पर भी हो ज़ुल्मत,पूरा भारत रोता है
ज़ख्म तुम्हारे होते हैं पर दर्द सभी को होता है
मांगों तुम इन्साफ मगर, मत षड़यंत्री हथियार बनो
साथ सभी हैं खड़े तुम्हारे, बस इतना उपकार करो
कांग्रेस को सगा न समझो, ये आंसू घड़ियाली हैं
संसद में सोते जो राहुल सौ प्रतिशत ही जाली हैं
धर्म सनातन की अखंडता, बाँट सकें ये साजिश है
दलितों को हिन्दू समाज से काट सकें ये साज़िश है
कवि गौरव चौहान तुम्हारे सौ सौ जूते खा लेगा
धर्म सनातन की रक्षा में सारे दर्द उठा लेगा
लेकिन तुम भी अपनेपन का थोडा तो अहसास करो
कुछ सालों के लिए सही, पर मोदी पर विश्वास करो
— कवि गौरव चौहान
अच्छी रहना है |