मुक्तक/दोहा

मुक्तक

भारत के उपवन में जबतक मज़हब की फुलवारी है.
माता का यह रूप नहीं है शोषित अबला नारी है.
एक प्रश्न मैं फिर करता हूँ राजनीति के हेठों से.
सारा सबकुछ बाँट दिया है अब किसकी तैय्यारी है.

मानस मिश्रा

मानस मिश्रा

नाम- मानस मिश्रा कार्य- स्वतंत्र लेखन पता- लखनऊ फोन- 8957937102 मेल- mishramanas17@gmail.com