मुक्तक/दोहा

मुक्तक

गर कुरान की आयत पढ़ते ऐसा कर्म नहीं होता.
मज़लूमों का खून पिये जो ऐसा धर्म नहीं होता.
कर्मकांड के नाम पे अब तो आडंबर को बंद करो.
धर्म कोई हो किसी धर्म का ऐसा मर्म नहीं होता.

मानस मिश्रा

मानस मिश्रा

नाम- मानस मिश्रा कार्य- स्वतंत्र लेखन पता- लखनऊ फोन- 8957937102 मेल- mishramanas17@gmail.com