मुक्तक/दोहा

मुक्तक

उसके दिल की हस्ती क्या है जिसके दिल में प्यार नहीं ।
सागर क्या सागर होता है जिसमें है मझधार नहीं ।
बच्चन जी का सार यही था लहरों से मत डरना तुम ।
मन के जीते जीत है निश्चित मन के जीते हार नहीं ।।

मानस मिश्रा 

मानस मिश्रा

नाम- मानस मिश्रा कार्य- स्वतंत्र लेखन पता- लखनऊ फोन- 8957937102 मेल- mishramanas17@gmail.com