वीर देश के मतवाले
देश के खातिर मिटने देखो खडे हैं लाखों मतवाले ।
हो जाए कुर्बान देश पर,वीर यहां के दिलवाले ।
है इतना पैगाम मेरा बस,कान खोल दुश्मन सुन ले ।
बुन सकता है जितने झूठे ख्वाब आज तू फिर बुन ले ।
छुरा पीठ मे घोप रहा ये नीति सदा अपनायी है ।
भारत की सेना से फिर भी मात हमेशा खायी है ।
बांध कफन को सर पर चलते भारत वीर निराले।
हो जाए कुर्बान देश पर वीर यहां के मतवाले ।1
चाहे काला दिवस मना ले या कोई फरमान सुना ।
भारत मां के अभिषेक को हमने लेकिन तेरा लहू चुना ।
नाम रखा है पाक तुम्हारा और इरादा नापाकी ।
नजर उठायी जो भारत पर रह न पाओगे बाकी ।
देश मेरा प्यारा भारत जो देता तुम्हें निवाले ।
हो जाए कुर्बान देश पर वीर यहां के मतवाले ।2
गाथा अमर सूरवीरो की देश के कण कण मे बसती ।
किसमे इतनी हिम्मत है जो मिटा सके अपनी हसती ।
लहू का कतरा कतरा अब तो भारत मां की जय बोले ।
देख के तेरी कारिस्तानी लहू वतन का अब खौले।
भूल गया मानवता को क्यों तोड रहा मद में प्याले।
हो जाए कुर्बान देश पर वीर यहाँ के मतवाले ।3
खुद फैला आतंकवाद को जो दूजे पर नाम धरे ।
छलनी करता रोज हृदय तभी पाप के घढे भरे।
निर्दोष जनों का खून बहाकर जिनको खुशियां मिलती है ।
नाम बहत्तर हूरो का ले बाछे जिनकी खिलती हैं ।
देगे तोहफा आज उन्हे फिर करके मौत हवाले ।
हो जाए कुर्बान देश पर वीर यहाँ के मतवाले ।4
— अनुपमा दीक्षित मयंक