दोहे
चरण धूलि माथे लगा, वंदन शत शत बार।
गुरु को प्रथम पूजिये, फिर पूजो करतार॥
जब जब भटका राह मैं, रस्ता दिया दिखाय।
गुरूदेव ने ज्ञान का, दीपक दिया जलाय॥
जीवन को अनुराग का, बना दिया मनमीत।
सत्य साधना प्रेम का, दिया अनूठा गीत॥
कर्मयोग के योग से, मिला दिया सतसार।
सिखा दिया गुरुदेव ने, मानवता व्यवहार॥
मिटा दिया मन से सभी, दंभ और अभिमान।
जडमति को भी ज्ञान से, करते सकल सुजान॥
मुझ निर्गुण को दे दिया, विद्या का वरदान।
करा दिया नेकी बदी, और कर्म का ज्ञान॥
वंदन अभिनंदन करू, चरणों शीश झुकाय।
महिमा गुरु पद जो गहे, ज्ञान दीप धन पाय॥
गुरुवर महिमा आपकी, किस विधि करूं बखान।
शब्द कोष कम हो गये, करत करत गुणगान॥
बंसल बडभागी बडा, पाया गुरु आशीष।
गुरु चरणों में नत रहे, जन्म जन्म यह शीश॥
सतीश बंसल