मुक्तक : हम लोग बिछड़ गये
जिन्दगी की क्या खता, कि हम लोग बिछड़ गये।
आप हैं वहाँ, हूँ मैं यहाँ ये किस मोड़ पर आ गये।
हमको आपसे मिलाने में की दूरभाष ने मध्यता,
पुनः एक बार हम लोग आपस में मिल-जुल गये॥१॥
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आज भी है याद हमें, जिस दिन गये थे हम वहाँ।
आपने खिलाई थीं मुझे प्रेमयुक्त स्नेह की रोटियाँ।
आज आपके स्नेहिल मधुर वाणी का स्पर्श पाकर,
मेरे हृदयतल में खुशी से, उठ गई हैं सिसकियाँ ॥२॥
— रमेश कुमार सिंह