गीतिका/ग़ज़ल

अपना नकाब रुख़ से हटाया न कीजिये

मेरे  ज़ख़म  की   याद  मिटाया न  कीजिये ।
मुझको  मेरा  नसीब  पढ़ाया  न  कीजिये ।।

माना कि  मुहब्बत  से  तुझे  वास्ता  नही ।
यह बात  सरे आम  बताया  न  कीजिये ।।

हो  आग  बुझाने  के  सलीके  से  बेखबर ।
पानी में  कभी  आग लगाया न  कीजिए।।

बादल   तुझे  गुरूर   बरसने  पे  बहुत  है ।
सावन मेरा जले तो बुझाया न  कीजिये ।।

इल्जाम  ज़माने   का   बेहिसाब  है  यहां ।
अब रात इस शहर में बिताया न कीजिये ।।

कुछ खास तजुर्बो से सबक आम हो गया ।
जो गिर गया नजर से उठाया न कीजिये ।।

शायद  तेरे  फरेब   की  चर्चा   बुलन्द  है ।
अब कब्र पर चराग  जलाया न  कीजिये ।।

देखा  तुझे  तो  होश  गवाता चला  गया ।
अपना नकाब रुख से हटाया न कीजिये ।।

-नवीन मणि त्रिपाठी

*नवीन मणि त्रिपाठी

नवीन मणि त्रिपाठी जी वन / 28 अर्मापुर इस्टेट कानपुर पिन 208009 दूरभाष 9839626686 8858111788 फेस बुक [email protected]

2 thoughts on “अपना नकाब रुख़ से हटाया न कीजिये

  • अर्जुन सिंह नेगी

    सुन्दर गजल

  • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

    बहुत खूब .

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