कविता : फड़फड़ा रहे हैं मेरे पंख
फड़फड़ा रहे हैं मेरे पंख
चीख रही है मेरी आत्मा
घुट रही है सांसें
जी चाहता है
तोड़ डालूँ सारे बंधन
उड़ जाऊँ दूर कहीं
जहाँ फैले मेरे पंख
शांत हो मेरी आत्मा
सांसे हो मेरी स्वच्छंद
चाहिए मुझे पता
बस ऐसी ही जगह का
ऐसे ही जहाँ का।
— पूनम
सुंदर लेखन
काश ऐसी कोई जगह होती