गीतिका/ग़ज़ल

ग़ज़ल

प्रेम तेरा सच्चा है दिल मेरा बच्चा है
प्यार की कसोटी में अभी जरा कच्चा है।

वेवफाई की नही वो नियत का सच्चा है
नफरतो से कोसो दूर हालातो का गुच्छा है।

रखता है मान सभी इतना न वो टुच्चा है
करता न भेद कभी चरित्र से न लुच्चा है।

पीपल का पत्ता नही हाल ही फड़क जाय
छाँव है वो बरगद की आसरा भी अच्छा है।

झूठ से न वास्ता सच्चाई ही रास्ता
मन से अमीर है दिल का वो सच्चा है।

दीपक गांधी

दीपक गाँधी

नाम - दीपक गांधी पिता का नाम - टी आर गांधी पद - विकास खण्ड अकादमिक समन्वयक (उच्च श्रेणी शिक्षक) निवास - ग्वालियर म. प्र. रूचि - साहित्य , लेखन ( कविता, गजल) साहित्यिक सफर - 120 कविता, 80 गजल लिख चुका हूँ