मुक्तक/दोहा

मुक्तक : बेटी

शान शौकत दिखाना चलन हो गया

आँख से नीर जैसे हवन~~हो गया

सज रही डोलियाँ जल रही बेटियाँ

आज इन्सानियत का पतन हो गया

 

उजाडे बाग को अपने चमन खिलने नही देते

घिरे हैं रूढियों से यूं सपन सजने नही देते

छुपे हैवान कुछ बैठे हमारे इस गुलिस्ताँ मे

मसल देते कली को हैं, सुमन बनने नहीं देते

 

खिलौना क्यूँ समझते हो ये’ घर की शान है बेटी

बडी नाजो पली माँ बाप का अरमान…….है बेटी

नहीं भक्षण करो इनका यही आधार दुनिया का

बसी है वेद ग्रंथो में धरा की जान……….है बेटी

~~संयम~~

कवि संयम

नाम - रवी पांडेय 'संयम' साहित्यिक नाम - कवि संयम पिता - श्री गंणेश शंकर पांडेय माता - श्रीमती सोना पांडेय जन्म तिथि - 5-7-1988 शिक्षा - एमए (राजनीतिशास्त्र ) , बीएड पता - जिला-बस्ती, उत्तरप्रदेश संपर्कसूत्र – 09984035709 उपलब्धि - लेखन क्षेत्र में नवोदित (फेसबुक मंच जैसे - कविता लोक ,युवा उत्कर्ष मंच , अधुरा मुक्तक मंचो से सम्मानित) रूचि - कलम साधना एवं समाज सेवा