कविता : छोड़ निराशा
फिर बाँध उम्मीद
और छोड़ निराशा
आशा से फिर से
तू नाता जोड़ !!
कर मंथन
प्रयासों का अपने
मेहनत से रुख
किस्मत का मोड़ !!
बाँहें फैलाए
नई राहें खड़ी हैं
उम्मीद का दामन
तू न छोड़ !!
भर उड़ान
छू ले गगन को
जीत से फिर से
नाता जोड़ !!
अंजु गुप्ता