गीत : कारगिल शहीदों की याद में
(कारगिल विजय दिवस पर अमर शहीदों को याद करती और देश के असली हीरो-नायकों की महिमा गाती मेरी नई कविता)
भारत माता की आँखों का तारा हर सैनानी है,
करगिल केवल युद्ध नही, वीरों की अमर कहानी है
देश नही ज़िंदा है,केवल संसद के नेताओं से,
देश नही ज़िंदा है,केवल मज़हब के आकाओं से,
देश नही ज़िंदा है,मुन्नी शीला के अफसानों से,
देश नही ज़िंदा है केवल शहरुख या सलमानों से,
ना मंदिर के चरणामृत से,ना जमजम के पानी से,
हिन्दुस्तान खड़ा है ज़िंदा,वीरों की कुर्बानी से,
भूल नही सकता मैं दुर्गम, ऊंचे, कठिन पहाड़ों को,
उन पर घात लगाए बैठे गजनी के सरदारों को,
उनसे अपनी धरती मुक्त कराना बहुत ज़रूरी था,
जेहादी चूहों का मारा जाना बहुत ज़रूरी था,
देख साथियों की लाशों को ह्रदय सभी का डोल गया,
और जुनून शहादत वाला सर पर चढ़कर बोल गया,
विक्रम बत्रा लहू दे गए,राष्ट्रप्रेम की बाती पर,
“ये दिल मांगे मोर”कह दिया चढ़ दुश्मन की छाती पर,
दूध छटी का याद कराची के गुंडों को दिला दिया,
पूरा पाक अकेले ही कैप्टन मनोज ने हिला दिया,
दस गोली खाने पर भी दुश्मन के आगे खड़ा रहा,
टाईगर हिल पर योगिन्दर,लिए तिरंगा अड़ा रहा,
मात्रभूमि की सेवा कैसे करते हैं वो दिखा गए,
भारत माता की जय के नारों का मतलब सिखा गए,
खुली हवा में जीते हैं,ये सब अनुदान तुम्हारा है,
सवा अरब की साँसों पर केवल अहसान तुम्हारा है,
लेकिन तुमको भूल गए जो,वो किस्मत के मारे हैं,
कुछ लोगों को आतंकी बुरहान-कन्हैया प्यारे हैं,
आज तुम्हारी क़ुरबानी के पृष्ठ टटोले जाते हैं,
भारत की बर्बादी वाले नारे बोले जाते हैं,
तुमने कैसे प्राण दिए ये बात भुलाई जाती है,
देशद्रोहियों की टीवी पर महिमा गायी जाती है,
कवि गौरव चौहान मगर बलिदानी गाथा गायेगा,
सदा शहीदों की यादों का दिल में दीप जलायेगा,
अमर तिरंगे की लहराती शान हमारे फौजी हैं,
असली “दिलवाले” असली “सुल्तान”हमारे फौजी हैं ।
——कवि गौरव चौहान