परिंदा आवारा
ये दरख़्त , येे चौखट , ये गलियां,
कुछ भी ना भूला ये परिंदा आवारा !!
वक्त की धूल ने चेहरे बदल डाले ,
पर सीरत ना भूला ये परिंदा आवारा !!
मन की भाषा गूँगी, अक्षर बिन फेरों के
अनपढ़ सी अनुभूति ना भूला ये परिंदा आवारा !!
बूँद बूँद आँशु यत्न से सहेजा था
पथरीला मुखोटा था , मोम का जिगर था
फिर भी न भुला ये परिंदा आवारा !!
वाह बहुत खूब।