कविता

कविता : मैंने लिखना छोड़ दिया

मैंने लिखना छोड़ दिया,

भला लिखे या बुरा लिखे
छुट पुट मुक्तक खूब लिखे,
मुख पोथी पर बड़े जतन से
भाव नदी में डूब लिखे ,

फिर भी कोई उन्हें न भाया,
नन्हा सा दिल तोड़ दिया
मैंने लिखना छोड़ दिया
मैंने लिखना छोड़ दिया (1)

मुक्तक में संगीत बसा,
सुंदर छोटा गीत बसा
छोटी सी प्यारी पंक्ति में
मेरे मन का मीत बसा ,

प्रीत तोड़ कर जब से प्रिय ने
बीच भँवर में छोड़ दिया,
मैंने लिखना छोड़ दिया
मैंने लिखना छोड़ दिया (2)

लता यादव

लता यादव

अपने बारे में बताने लायक एसा कुछ भी नहीं । मध्यम वर्गीय परिवार में जनमी, बड़ी संतान, आकांक्षाओ का केंद्र बिन्दु । माता-पिता के दुर्घटना ग्रस्त होने के कारण उपचार, गृहकार्य एवं अपनी व दो भाइयों वएकबहन की पढ़ाई । बूढ़े दादाजी हम सबके रखवाले थे माता पिता दादाजी स्वयं काफी पढ़े लिखे थे, अतः घरमें पढ़़ाई का वातावरण था । मैंने विषम परिस्थितियों के बीच M.A.,B.Sc,L.T.किया लेखन का शौक पूरा न हो सका अब पति के देहावसान के बाद पुनः लिखना प्रारम्भ किया है । बस यही मेरी कहानी है