कविता
पिता पूछते क्या लाया है
मां पूछे बस क्या खाया है
दोनों में ही अपनापन है
जिससे मानव बढ़ पाया है
भूखे पेट न जाए सोया
खाली पेट जमूरा रोया
रहा आकलन सदा अधूरा
क्या पाया था क्या है खोया
इससे ऊपर उठ जाने को
कहते तभी सफल जीवन है
— मनोज श्रीवास्तव