“कजरी गीत”
मोहन बाँके छैल बिहारी, सखिया कीन्ह लाचारी ना
ले गयो चीर कदम की डारी, हम सखी रही उघारी ना
मोहन हम तो शरम की मारी, रखि लो लाज हमारी ना….मोहन बाँके छैल बिहारी, सखिया कीन्ह लाचारी ना
अब ना कबहुँ उघर पग डारब, भूल भई जल भारी ना
मोहन हम तो विरह की मारी, रखि लो लाज हमारी ना…..मोहन बाँके छैल बिहारी, सखिया कीन्ह लाचारी ना
ग्वाल-बाल सब निरखी रहें हैं, जल में मीन पियासी ना
मोहन हम तो प्रेम की मारी, रखि लो लाज हमारी ना…..मोहन बाँके छैल बिहारी, सखिया कीन्ह लाचारी ना
देर भई तो मातु रिसानी, का रची कहब कहानी ना
मोहन हम तो मरम की मारी, रखि लो लाज हमारी ना… मोहन बाँके छैल बिहारी, सखिया कीन्ह लाचारी ना
देखि रूप हंसिहें सारी नगरी, राधा से हुई नादानी ना
मोहन हम तो शरण तुम्हारी, रखि लो लाज हमारी ना…मोहन बाँके छैल बिहारी, सखिया कीन्ह लाचारी ना
महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी