गीत/नवगीत

भारत का महाभारत

याद करो जब इक नारी को, नग्न किया था कौरव ने
उस नारी की हाय मिटाती ,जो जीते थे गौरव में

अब हर नारी कोस रही है , बड़बोले व्यभिचारी को
क्यो चुप है खामोश सभी अब , मारो अत्याचारी को

ऐसा लगता है जैसे की , शासक कौरव वंश है ये
दुर्योधन ,दुस्साशन है ये ,या फिर कोई कंस है ये

अब नारी इस भारत में अपनी रक्षा पर शंकित है
उसकी रक्षा कर पाने से ,क्यो सिंहासन वंचित है

नारी न रक्षित लगती अब अल्ल्हड़पन या शैशव में
कौन बचाये लाज आज ज्यु लाज बचाई केशव ने

भारत की हर बेटी अब तो मन ही मन शर्मिंदा है
खुले आम जो नग्न कर रहे , वो अब तक क्यों जिन्दा है

हे भारत के वीर जगो तुम शक्ति प्रदर्शन कर आओ
आज वक़्त है कृष्ण बनो सब और सुदर्शन धर आओ

क्यों धृतराष्ट्र बने चुप बैठे, है अब भी वो गद्दी पर
कर खोलो और जूते मारो ,बाते करते भद्दी गर

आज दाँव पर द्रौपदी है फिर ये भारत न लज़्ज़ित हो
प्रण लो ऐसो के सर पर न राजमुकुट सु सज्जित हो

मनोज”मोजू”

मनोज डागा

निवासी इंदिरापुरम ,गाजियाबाद ,उ प्र, मूल निवासी , बीकानेर, राजस्थान , दिल्ली मे व्यवसाय करता हु ,व संयुक्त परिवार मे रहते हुए , दिल्ली भाजपा के संवाद प्रकोष्ठ ,का सदस्य हूँ। लिखना एक शौक के तौर पर शुरू किया है , व हिन्दुत्व व भारतीयता की अलख जगाने हेतु प्रयासरत हूँ.